पूर्व IAF अधिकारी अजय अहलावत ने कहा कि पाकिस्तान ने दशकों तक अमेरिका को धोखा दिया और अब चीन को भी उसी रणनीति से फंसा रहा है। क्रिस्टीन फेयर ने भी यही दावा किया है।
US-China: भारतीय वायुसेना के पूर्व ग्रुप कैप्टन अजय अहलावत ने हाल ही में चीन-पाकिस्तान संबंधों पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने दशकों तक अमेरिका को धोखा दिया और अब चीन को भी उसी रणनीति से "उल्लू बनाना" शुरू कर दिया है। यह बयान अमेरिकी पॉलिटिकल वैज्ञानिक सी. क्रिस्टीन फेयर के लेख के जवाब में आया।
क्रिस्टीन फेयर का खुलासा
क्रिस्टीन फेयर ने अपने आर्टिकल में बताया कि उनके कई भारतीय राजनयिकों ने यह सवाल साझा किया कि कैसे पाकिस्तान रोजाना अमेरिकी अधिकारियों को धोखा देता रहता है। पाकिस्तान एक "गैर-जिम्मेदार परमाणु राज्य" होते हुए भी अरबों डॉलर की अमेरिकी सैन्य मदद ग्रहण करता रहा है।
उन्होंने आगे लिखा कि पाकिस्तान "अच्छे झूठ" और मिलिट्री टूरिज्म जैसे चालाक तरीकों से अमेरिका में सहानुभूति क्यों पैदा करता है। कई अमेरिकी अधिकारी पाकिस्तान को लेकर अनजान या भ्रामक जानकारी से प्रभावित हो जाते हैं।
पाकिस्तान-चीन की सांठगांठ
भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान-चीन के बीच गुप्त समझौते स्पष्ट हुए थे। यह रणनीति पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक रूप से चीन के साथ जोड़ती है।
ग्रुप कैप्टन अजय अहलावत ने फेयर के लेख का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ धोखाधड़ी की कला में महारत हासिल की है, और वह जल्द ही चीन को भी उसी तरह धोखे में फंसा सकता है।
अहलावत ने कहा, "पाकिस्तान ने दशकों तक अमेरिका की उदारता का लाभ उठाया और उन्हें उल्लू बनाया। अब वह चीनी दुश्मन को भी उसी रणनीति से धोखा देगा, बस समय की बात है।"
फेयर ने बताया पाकिस्तान से अमेरिकी धोखाधड़ी
क्रिस्टीन फेयर ने अपने लेख में सवाल उठाया कि पाकिस्तान एक "भ्रष्ट आतंकवाद समर्थक राज्य" होते हुए भी क्यों मिलती रही अमेरिका की मदद। "पाकिस्तान की ताकत उसके परमाणु हथियारों में नहीं, बल्कि उसके सॉफ्ट पावर और रणनीतिक हेरफेर में है।"
उनके अनुसार, अमेरिकी अधिकारी कई बार प्रभावित हुए क्योंकि वे क्षेत्रीय जटिलताओं को समझ नहीं पाए और पाकिस्तान ने 1973–74 में ही अपनी जिहादी रणनीति शुरू की, और उसे अफगानिस्तान में साजिश का आधार बनाया।
पाकिस्तान ने तोड़ा कई अंतरराष्ट्रीय समझौते
फेयर के अनुसार, पाकिस्तान ने SEATO जैसे समझौतों का हिस्सा बनने के बावजूद कोरियाई या वियतनाम युद्धों में भाग नहीं लिया। 1979 में, जब सोवियत रूस अफगानिस्तान पर चढ़ा, तब तक पाकिस्तान ने अपनी मर्जी से जिहादी समूहों को समर्थन देना शुरू कर रखा था—इसे उन्होंने प्राचीन रणनीति का हिस्सा बताया।