देश के सबसे बड़े और विश्वसनीय बैंकिंग संस्थानों में से एक, HDFC बैंक के MD और CEO शशिधर जगदीशन पर 25 करोड़ रुपये के गबन का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले में लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने जोरदार प्रतिक्रिया देते हुए बैंक प्रमुख के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
नई दिल्ली: देश की प्रमुख बैंकिंग संस्था HDFC बैंक के एमडी और सीईओ शशिधर जगदीशन पर 25 करोड़ रुपये के गबन का गंभीर आरोप लगाते हुए लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। ट्रस्ट ने कहा है कि वे इस मामले में तुरंत जांच कराकर जगदीशन को निलंबित किया जाए ताकि बैंक की प्रतिष्ठा और ग्राहकों का विश्वास सुरक्षित रह सके।
लीलावती हॉस्पिटल ट्रस्ट ने आरोप लगाया है कि जगदीशन और उनके साथ जुड़े आठ अन्य लोगों ने ट्रस्ट के एक सदस्य के पिता को परेशान करने के लिए बड़े पैमाने पर फाइनेंशियल फ्रॉड किया है। आरोपों के अनुसार, इस फर्जीवाड़े की रकम लगभग 25 करोड़ रुपये है, जो बैंक के साथ जुड़े लेनदेन में गड़बड़ी के रूप में सामने आई है।
मामला क्या है?
लीलावती हॉस्पिटल ट्रस्ट ने एक हाथ से लिखी हुई डायरी को सबूत के रूप में कोर्ट में पेश किया है, जिसमें बैंक के सीईओ और अन्य के बीच संदिग्ध लेनदेन का ब्यौरा दर्ज है। इस डायरी में यह लिखा है कि ट्रस्ट के एक पूर्व सदस्य ने लगभग 2.05 करोड़ रुपये बैंक के सीईओ को दिए थे, जिनका इस्तेमाल ट्रस्ट के मौजूदा सदस्य के पिता को दबाव में रखने के लिए किया गया।
NDTV प्रॉफिट की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रस्ट ने मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट से आठ लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करने की भी मांग की है। ट्रस्ट के सदस्य मानते हैं कि यह पूरा मामला बैंक की आंतरिक नीतियों और गुप्त लेनदेन से जुड़ा हुआ है, जिसकी वजह से बड़ी रकम का नुकसान हो रहा है।
बैंक का जवाब और सफाई
HDFC बैंक के प्रवक्ता ने इस मामले में साफ़तौर पर इन आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि यह मामला बैंक के बकाया लोन की वसूली से संबंधित है, जिसमें कुछ डिफॉल्टर बैंक और उसके अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं। बैंक के बयान में कहा गया, “शशिधर जगदीशन और बैंक के खिलाफ लगाए गए ये आरोप पूरी तरह से गलत हैं।
यह मामला एक लंबे समय से लंबित बकाया लोन की रिकवरी प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है, जिसमें कुछ ट्रस्टी और उनके परिवार कानूनी गड़बड़ियां कर रहे हैं ताकि रिकवरी को टाला जा सके। बैंक ने यह भी स्पष्ट किया कि MD और CEO की प्रतिष्ठा बचाने के लिए वे हर कानूनी माध्यम अपनाएंगे और विश्वास जताया कि अदालतों में सच्चाई सामने आएगी। बैंक ने आरोप लगाया कि ट्रस्ट के कुछ सदस्यों का मकसद बैंक और उसके शीर्ष प्रबंधन की छवि धूमिल करना है।
ट्रस्ट की प्रतिक्रिया और आगे का कदम
लीलावती ट्रस्ट के सदस्य साफ कह रहे हैं कि वे इस मामले को कभी भी दबाने नहीं देंगे और जांच स्वतंत्र व पारदर्शी होनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर समय पर सही कार्रवाई नहीं हुई तो वे कोर्ट का सहारा लेकर कड़ी कार्रवाई करेंगे। ट्रस्ट ने यह भी कहा है कि बैंक के अंदर कुछ लोग इस धोखाधड़ी में शामिल हैं और उन्होंने सीईओ के खिलाफ ठोस सबूत भी दिए हैं, जो दिखाते हैं कि बैंक के उच्च अधिकारी इस गबन में शामिल हैं।
बैंकिंग और फाइनेंस विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के गंभीर आरोप किसी भी बैंक के लिए घातक हो सकते हैं, खासकर तब जब आरोप बैंक के सबसे ऊंचे पद पर बैठे अधिकारी पर लगे हों। इससे न केवल बैंक की मार्केट वैल्यू प्रभावित होती है, बल्कि ग्राहकों और निवेशकों का भरोसा भी कमजोर पड़ता है।