मोदी-जिनपिंग की ऐतिहासिक मुलाकात, पुतिन के कूटनीतिक प्रभाव से वैश्विक रणनीतियों में बदलाव

मोदी-जिनपिंग की ऐतिहासिक मुलाकात, पुतिन के कूटनीतिक प्रभाव से वैश्विक रणनीतियों में बदलाव
Last Updated: 29 अक्टूबर 2024

ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई, जिसे रूस ने एक सकारात्मक घटनाक्रम के रूप में प्रस्तुत किया। हालांकि, रूस ने स्पष्ट किया कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक में उसकी कोई भूमिका नहीं थी।

रूस के प्रतिनिधि डेनिस अलीपोव ने इस संबंध में सवाल उठाए जाने पर कहा कि उनकी सरकार ने इस वार्ता को प्रोत्साहित नहीं किया, बल्कि यह भारत और चीन के बीच का एक स्वायत्त संवाद था। यह बयान इस बात को स्पष्ट करता है कि रूस का ध्यान अपने संबंधों को मजबूत करने पर है, जबकि भारत और चीन के बीच की वार्ता उनके स्वयं के हितों को ध्यान में रखकर हुई है।

नई दिल्ली: रूस ने कजान में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन को सफल बताया है। पिछले सप्ताह के सम्मेलन के नतीजों पर दिल्ली में मीडिया को जानकारी देते हुए, भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि यह 35 देशों और छह अंतरराष्ट्रीय संगठनों के नेताओं के साथ विस्तारित प्रारूप में पहला शिखर सम्मेलन था।

इसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव और एशियाई, अफ्रीकी तथा लैटिन अमेरिकी देशों के प्रतिनिधियों की भागीदारी भी शामिल थी। अलीपोव ने बताया कि यह सम्मेलन एक समावेशी 'मंच' के रूप में उभरा है, जहां विभिन्न देशों के बीच सहयोग और संवाद को बढ़ावा दिया गया।

रूस में भारत-चीन द्विपक्षीय वार्ता

ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई, जिसे रूस ने एक सकारात्मक घटनाक्रम के रूप में देखा। हालांकि, रूस ने स्पष्ट किया कि इस बैठक में उसकी कोई भूमिका नहीं थी।

रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव से जब पूछा गया कि क्या पीएम मोदी और शी जिनपिंगके बीच हुई मुलाकात में रूस की कोई भूमिका थी, तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इस बैठक में रूस का कोई हस्तक्षेप नहीं था। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे संवादों का वे स्वागत करते हैं, जो क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देते हैं।

सीमा विवाद पर भारत-चीन के बीच समझौता

हाल ही में संपन्न ब्रिक्स सम्मेलन के अवसर पर, भारत और चीन ने अपने सीमांत क्षेत्र में सैन्य गतिरोध समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर पहुंच गए। यह समझौता पूर्वी लद्दाख की सीमा पर 2020 में हुई झड़प के चार साल बाद आया है, जब दोनों देशों के बीच संबंध कई दशकों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे।

इस समझौते के अनुसार, पूर्वी लद्दाख के देपसांग मैदानों और डेमचोक में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पीछे हटने की प्रक्रिया अब भी चल रही है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि भारत और चीन के बीच कूटनीतिक संबंधों को सुधारने के लिए, दोनों देश 29 अक्टूबर तक वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा कर लेंगे। इस समझौते को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

पीएम मोदी की सीमा विवाद सुलझाने की अपील

भारत और चीन के बीच हुई बैठक के दौरान, पीएम मोदी ने सीमा विवाद सुलझाने की दिशा में महत्वपूर्ण बातें कीं। उन्होंने कहा, "सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।"

मोदी ने आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता को दोनों देशों के संबंधों का आधार बताते हुए कहा कि इन मूल्यों को ध्यान में रखते हुए ही दोनों पक्षों को आगे बढ़ना चाहिए। उनका यह बयान सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयासों को दर्शाता है और क्षेत्रीय स्थिरता की आवश्यकता पर जोर देता है।

चीन के संदर्भ में विदेश मंत्री जयशंकर की टिप्पणी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में सैनिकों के पीछे हटने को एक महत्वपूर्ण पहला कदम बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत 2020 की गश्त की स्थिति में वापस लौट जाएगा।

जयशंकर ने कहा कि अगले चरण में दोनों देशों के बीच तनाव को कम करना आवश्यक है, लेकिन यह प्रक्रिया तभी आगे बढ़ेगी जब भारत को यह सुनिश्चित हो जाएगा कि दूसरी तरफ भी यही प्रयास किए जा रहे हैं। उनकी यह टिप्पणी दोनों देशों के बीच स्थिरता और विश्वास को बढ़ाने की दिशा में संकेत देती है।

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