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नेपाल में हिंसा के बाद सरकार का बड़ा फैसला, पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की सुरक्षा में कटौती

नेपाल में हिंसा के बाद सरकार का बड़ा फैसला, पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की सुरक्षा में कटौती
अंतिम अपडेट: 1 दिन पहले

नेपाल सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा में कटौती की और पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की। राजशाही समर्थक प्रदर्शनों में हिंसा के बाद शाह पर जुर्माना भी लगाया गया।

Pro-Monarchy Protest: नेपाल सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा में कटौती कर दी है। इस समय नेपाल में राजशाही की बहाली को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनके पीछे ज्ञानेंद्र शाह और उनके करीबी होने की आशंका जताई जा रही है। सरकार के इस फैसले को पूर्व राजा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

राजशाही समर्थकों के प्रदर्शन पर लगा जुर्माना

काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी (केएमसी) ने राजधानी में हुए प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों और पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर 7,93,000 नेपाली रुपये का जुर्माना लगाया है। यह विरोध प्रदर्शन कथित तौर पर शाह के आह्वान पर आयोजित किया गया था। केएमसी ने शाह के महाराजगंज स्थित आवास पर पत्र भेजकर इस नुकसान की भरपाई करने को कहा है।

पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया शुरू

नेपाल सरकार ने ज्ञानेंद्र शाह का पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। यह कदम काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी फाइनेंस एक्ट, 2021 और कचरा प्रबंधन अधिनियम, 2020 के उल्लंघन को लेकर उठाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने सड़कों और फुटपाथों पर कचरा फेंका और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया।

राजधानी काठमांडू में तनावपूर्ण हालात

शुक्रवार को काठमांडू के विभिन्न हिस्सों में राजशाही समर्थकों ने हिंसक प्रदर्शन किया। उन्होंने पत्थरबाजी की, एक राजनीतिक दल के कार्यालय पर हमला किया, वाहनों को आग लगा दी और दुकानों में लूटपाट की। इस हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई, जिसमें एक टीवी कैमरामैन भी शामिल था, जबकि 110 अन्य लोग घायल हुए।

ज्ञानेंद्र शाह पर आंदोलन को भड़काने के आरोप

काठमांडू प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस प्रदर्शन का आयोजन शाह के समर्थकों द्वारा किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, आंदोलन के आयोजक दुर्गा प्रसाद ने एक दिन पहले ज्ञानेंद्र शाह से मुलाकात की थी, जहां से उन्हें इस प्रदर्शन की मंजूरी मिली थी। शाह ने कुछ समय पहले कहा था कि देश की रक्षा और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की जिम्मेदारी अब जनता को लेनी होगी। इसके बाद से नेपाल में राजशाही समर्थक प्रदर्शन तेज हो गए।

नागरिक समाज ने ज्ञानेंद्र शाह की आलोचना

नेपाल के नागरिक समाज के कई नेताओं ने शाह के राजनीतिक सक्रियता में उतरने की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि यह नेपाल की लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है और देश की स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकता है। आठ नागरिक समाज नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि शाह की यह गतिविधि नेपाल के राष्ट्र निर्माण प्रयासों को कमजोर करने का काम कर रही है।

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