श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे योशिता राजपक्षे को संपत्ति खरीदने में भ्रष्टाचार के आरोप में 25 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया गया। उन्हें बेलिएट्टा से पकड़ा गया।
Shrilanka: श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे और पूर्व नौसेना अधिकारी योशिता राजपक्षे को पुलिस ने 25 जनवरी 2025 को गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें संपत्ति खरीद के मामले में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया। योशिता राजपक्षे को उनके गृह क्षेत्र बेलिएट्टा से गिरफ्तार किया गया, जो 2015 से पहले उनके पिता के राष्ट्रपति पद के कार्यकाल के दौरान संपत्ति की खरीद से जुड़ा हुआ है। पुलिस ने पहले ही योशिता के चाचा और पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से इस संपत्ति पर पूछताछ की थी।
पुलिस जांच के तहत मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के आरोप
इस गिरफ्तारी के साथ ही, श्रीलंका में महिंदा राजपक्षे के शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच फिर से तेज हो गई है। पुलिस प्रवक्ता SSP बुद्धिका मनथुंगा के मुताबिक, योशिता को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले 3 जनवरी 2025 को CID ने उन्हें कटारगामा में सरकारी स्वामित्व वाली जमीन से जुड़ी हेरफेर के मामले में पूछताछ की थी।
महिंदा राजपक्षे के परिवार पर बढ़ रही जांच का दबाव
महिंदा राजपक्षे के परिवार पर आरोपों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले साल नवंबर में, राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के नेतृत्व में बनी नई सरकार ने महिंदा राजपक्षे के शासनकाल के दौरान किए गए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए घोषणा की थी। इस दौरान महिंदा के सबसे बड़े बेटे नमल राजपक्षे से भी पुलिस ने पूछताछ की थी।
महिंदा राजपक्षे ने कोर्ट से सुरक्षा की मांग
योशिता की गिरफ्तारी उस समय हुई जब महिंदा राजपक्षे ने सुप्रीम कोर्ट में एक मौलिक अधिकार याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपनी सुरक्षा बहाल करने की मांग की थी। इस याचिका में उन्होंने सरकार की ओर से उनकी सुरक्षा घटाए जाने का विरोध किया था।
राजपक्षे परिवार की छवि को लेकर सवाल
महिंदा राजपक्षे के परिवार की छवि पर उठ रहे सवालों के बीच यह गिरफ्तारी और पूछताछ नए राजनीतिक और कानूनी विवादों को जन्म दे रही है। महिंदा के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच अब एक नई दिशा में बढ़ रही है, जिससे आने वाले दिनों में कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।
नया सरकार का इरादा
नई सरकार ने चुनावों से पहले घोषणा की थी कि वे 2005 और 2015 के बीच महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति पद के दौरान किए गए भ्रष्टाचार के सभी मामलों की जांच करेंगे और संबंधित आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।