3 दिसंबर 2024 को, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने देश में मार्शल लॉ की घोषणा की, जो 1980 के चून डू-ह्वान के सैन्य शासन के बाद पहली बार था। यह कदम नेशनल असेंबली में उत्तर कोरिया समर्थक तत्वों के आरोपों के बीच उठाया गया था।
World: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मंगलवार को देश में मार्शल लॉ लगाने का एलान किया था, लेकिन कुछ घंटों बाद इसे वापस ले लिया। उन्होंने विपक्ष को सत्ता-विरोधी और लोकतंत्र के लिए खतरा बताया था। हालांकि, राष्ट्रपति के इस कदम ने विपक्ष और सभी सांसदों को एकजुट कर दिया, जिन्होंने संसद में राष्ट्रपति के फैसले का विरोध किया। इस घटना से राजनीतिक अस्थिरता और लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर चिंताएँ उठीं।
राष्ट्रपति यून सुक-योल ने छह घंटे बाद ही वापस लिया 'मार्शल लॉ'
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मंगलवार को मार्शल लॉ लगाने का एलान किया, लेकिन इसके कुछ ही घंटों बाद इसे वापस ले लिया। उन्होंने विपक्ष पर सत्ता-विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया था। मार्शल लॉ के तहत राजनीतिक गतिविधियों और पार्टियों पर प्रतिबंध, झूठे प्रचार, हड़तालों और सामाजिक अशांति को रोकने के लिए कई आदेश जारी किए गए थे। मीडिया पर भी नियंत्रण और हड़तालों में शामिल डॉक्टर-नर्स को 48 घंटे में काम पर लौटने का निर्देश दिया गया था।
बता दें मार्शल लॉ के एलान के बाद सुरक्षाबलों ने संसद को सील कर दिया और सैनिक संसद भवन में घुस गए, जिससे सांसदों को रोकने की कोशिश की गई। हालांकि, 190 सांसदों ने विरोध करते हुए मार्शल लॉ के खिलाफ मतदान किया और इसे हटाने की मांग की। सरकार के मंत्रियों और विपक्ष के एकजुट होने पर राष्ट्रपति योल ने छह घंटे बाद मार्शल लॉ वापस ले लिया। इस दौरान संसद के बाहर प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के खिलाफ नारेबाजी की और उनकी गिरफ्तारी की मांग की।
क्या राष्ट्रपति योल पर चलेगा महाभियोग?
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने मार्शल लॉ का एलान देश की सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया था, खासकर सत्ता-विरोधी ताकतों और उत्तर कोरिया से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए। हालांकि, यह कदम विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी से उनके विवाद के बाद आया, जिसने बजट में कटौती की थी। विशेषज्ञों के अनुसार, योल की घटती लोकप्रियता और विवादों के चलते उन्होंने ये कदम उठाए, जिससे उनकी सरकार को कुछ स्थिरता मिल सके।
राष्ट्रपति यून सुक योल पर बढ़ते दबाव के बीच विपक्षी पार्टियों ने उन्हें इस्तीफा देने या महाभियोग का सामना करने का अल्टीमेटम दिया है। मुख्य मजदूर संघ ने योल के इस्तीफे तक हड़ताल की घोषणा की है, उन्हें लोकतंत्र विरोधी आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी पार्टी, पीपुल्स पावर पार्टी (पीपीपी), ने मार्शल लॉ के फैसले को भयानक करार देते हुए जिम्मेदारी तय करने की मांग की हैं।