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South Korea: रक्षा मंत्री किम योंग ह्युन ने दिया इस्तीफा, मार्शल लॉ लगाने की ली जिम्मेदारी, चोई ब्युंग ह्युक चुना गया नया रक्षामंत्री

South Korea: रक्षा मंत्री किम योंग ह्युन ने दिया इस्तीफा, मार्शल लॉ लगाने की ली जिम्मेदारी, चोई ब्युंग ह्युक चुना गया नया रक्षामंत्री
अंतिम अपडेट: 05-12-2024

मार्शल लॉ लागू करने के बाद कई नेताओं ने इस निर्णय की आलोचना की। खासकर राष्ट्रपति की पार्टी के नेता हैन डोंग-हून ने इस फैसले का विरोध किया और संसद में हुए मतदान में भी भाग लिया। उनका कहना था कि इस तरह का निर्णय लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचा सकता है और इसे लोकतांत्रिक मूल्य और स्वतंत्रता के खिलाफ माना गया। 

World: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल ने अपने रक्षा मंत्री किम योंग ह्युन का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उनके स्थान पर चोई ब्युंग ह्युक को नया रक्षा मंत्री नियुक्त किया। किम योंग ह्युन ने देश में मार्शल लॉ लागू करने की जिम्मेदारी ली थी, जिसके बाद विपक्षी दलों ने इस कदम के विरोध में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया। मुख्य विपक्षी दल, डेमोक्रेटिक पार्टी और अन्य छोटे दलों ने राष्ट्रपति यून के खिलाफ भी महाभियोग का प्रस्ताव दिया था।

मार्शल लॉ की घोषणा के बाद इस कदम की आलोचना बढ़ गई थी, और विपक्ष ने इसे लोकतंत्र और स्वतंत्रता के खिलाफ बताया। राष्ट्रपति को यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया गया, क्योंकि संसद में महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया गया था

किम योंग ह्युन ने मार्शल लॉ लगाने की ली जिम्मेदारी

दक्षिण कोरिया में ‘मार्शल लॉ’ को लगभग छह घंटे के भीतर हटा लिया गया, जब नेशनल असेंबली ने राष्ट्रपति यून सुक येओल के फैसले के खिलाफ मतदान किया। इसके बाद राष्ट्रपति ने अपने रक्षा मंत्री किम योंग ह्युन का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उनकी जगह चोई ब्युंग ह्युक को नया रक्षा मंत्री नियुक्त किया। चोई ब्युंग ह्युक, जो चार सितारे वाले जनरल के रूप में रिटायर हुए थे, इस समय सऊदी अरब में दक्षिण कोरिया के राजदूत हैं।

राष्ट्रपति यून ने टेलीविजन पर अपनी घोषणा की थी कि सरकार ने ‘मार्शल लॉ’ को हटा दिया है, लेकिन इसके बाद वे किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नजर नहीं आए। उनके मंत्रिमंडल को बुधवार सुबह तक इस निर्णय को पलटने के लिए दबाव में लाया गया, और इस घटनाक्रम के बाद से दक्षिण कोरिया में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई थी।

दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लागू होने के बाद से सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच तीव्र विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। सत्तारूढ़ पार्टी के कई नेताओं ने इसे अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक करार दिया था। राष्ट्रपति की पार्टी के एक प्रमुख नेता हैन डोंग-हून ने भी इस फैसले की आलोचना की और संसद में हुए मतदान में भाग लिया। इसके परिणामस्वरूप देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें लोग इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे।

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