South Korean: दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक-योल पर मंडराए संकट के बादल, संसद में विपक्ष ने पेश किया महाभियोग प्रस्ताव, विपक्ष पार्टी ने क्या कहा?

South Korean: दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक-योल पर मंडराए संकट के बादल, संसद में विपक्ष ने पेश किया महाभियोग प्रस्ताव, विपक्ष पार्टी ने क्या कहा?
Last Updated: 12 घंटा पहले

पाकिस्तान के राष्ट्रपति यून सुक-योल के खिलाफ सियासी हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने उन पर मार्शल लॉ लागू करने के आरोप लगाए हैं, और इसके खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया है। इस मुद्दे को लेकर जनता का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है, और एक लाख से अधिक लोगों ने यून के खिलाफ एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। 

सियोल: दक्षिण कोरिया के विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति यून सुक-योल के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया है। यह कदम उस समय उठाया गया जब राष्ट्रपति यून ने अचानक देश में मार्शल लॉ लागू किया था, जिसे केवल छह घंटे तक ही प्रभावी रखा गया। इस दौरान, ‘नेशनल असेंबली’ ने राष्ट्रपति के फैसले को खारिज करने के पक्ष में मतदान किया। इससे पहले, दक्षिण कोरिया की मुख्य विपक्षी पार्टी ने राष्ट्रपति से इस्तीफा देने की मांग की थी और चेतावनी दी थी कि यदि वह ऐसा नहीं करते, तो महाभियोग का सामना करना पड़ेगा।

विपक्षी दल के नेता ने क्या कहा?

दक्षिण कोरिया की डेमोक्रेटिक पार्टी ने राष्ट्रपति यून सुक-योल द्वारा मार्शल लॉ की घोषणा को संविधान का उल्लंघन करार दिया है। पार्टी ने एक बयान में कहा, ‘‘राष्ट्रपति की मार्शल लॉ की घोषणा संविधान के खिलाफ है, क्योंकि इसे लागू करने के लिए कोई आवश्यक नियम नहीं अपनाए गए थे।’’ बयान में यह भी कहा गया, ‘‘यह घोषणा मूल रूप से अमान्य है और संविधान का गंभीर उल्लंघन करती है। इसे विद्रोह का एक गंभीर कृत्य माना जा सकता है, जो राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता हैं।’’

मार्शल लॉ के लागू होने के बाद से दक्षिण कोरिया में राजनीतिक हलचल तेज हो गई थी। सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों के नेताओं ने इस कदम का कड़ा विरोध किया। सत्तारूढ़ दल के कई नेताओं ने इसे अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक करार दिया। राष्ट्रपति की अपनी पार्टी के नेता हैन डोंग-हून ने भी इस फैसले की खुलकर आलोचना की और संसद में हुए मतदान में हिस्सा लिया। इसके बाद, देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसमें नागरिकों और विभिन्न समूहों ने राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। 

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