US Election 2024: अमेरिकी चुनाव में ट्रंप की संभावित जीत, भारत की तैयारियाँ और भूचाल की आशंकाएँ

US Election 2024: अमेरिकी चुनाव में ट्रंप की संभावित जीत, भारत की तैयारियाँ और भूचाल की आशंकाएँ
Last Updated: 03 नवंबर 2024

अगर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीतते हैं, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अचानक विदेशी फंड के आउटफ्लो से निपटने के लिए तैयार है। इसके लिए, भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत रखा है ताकि अत्यधिक उतार-चढ़ाव का सामना किया जा सके। इसके अलावा, संभावित अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी भी भारत की मौद्रिक नीति पर प्रभाव डाल सकती है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अमेरिकी चुनाव के संभावित परिणामों को लेकर पहले से ही तैयारी कर ली है और वह इससे चिंतित नहीं है। सूत्रों के अनुसार, यदि डोनाल्ड ट्रंप जीतते हैं और बाजार में उथल-पुथल होती है, तो RBI के पास विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार है, जिससे रुपये को स्थिर बनाए रखा जा सकता है। इसके साथ ही, RBI यह भी निगरानी कर रहा है कि नई अमेरिकी सरकार चीन पर नए टैरिफ लगाएगी या नहीं, क्योंकि इससे भारत में महंगाई बढ़ने की आशंका है।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर वैश्विक ध्यान

अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर दुनियाभर की नजरें टिकी हुई हैं। इस बीच, भारत के केंद्रीय बैंक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने स्पष्ट कर दिया है कि वह चुनाव के बाद आने वाले किसी भी आर्थिक तूफान का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। RBI के करीबी सूत्रों के मुताबिक, यदि रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप अगले हफ्ते होने वाले चुनाव में जीतते हैं, तो रिजर्व बैंक के पास विदेशी मुद्रा का विशाल भंडार है, जिसके माध्यम से वह रुपये में किसी भी गिरावट को रोक सकता है।

ट्रंप के आक्रामक रुख से चिंतित विशेषज्ञ

दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप के चीन के खिलाफ आक्रामक रुख और व्यापार युद्ध की आशंकाओं के कारण बाजार में घबराहट का माहौल बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की जीत से वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मच सकती है, जिससे विदेशी निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों से अपना पैसा निकालने का फैसला कर सकते हैं। ऐसे में, RBI ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है और रुपये को स्थिर बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।

आरबीआई के एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमारे पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार उपलब्ध है। यदि बाजार में गंभीर उतार-चढ़ाव आता है और विदेशी निवेशक अपने निवेश को वापस लेते हैं, तो आरबीआई रुपये को स्थिर रखने के लिए हस्तक्षेप करेगा।" हालांकि, इस मामले पर RBI ने आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन इसके सूत्रों का आश्वासन बाजार में विश्वास को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

भारत में महंगाई बढ़ने का डर

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ट्रंप चीन पर आयात शुल्क बढ़ाते हैं, तो इसका असर भारत और अन्य उभरते बाजारों पर भी पड़ेगा। चीन से आयात होने वाली वस्तुओं की कीमतें महंगी हो जाएंगी, जिससे भारत में महंगाई बढ़ने की संभावना है। इसके अलावा, चीन के संभावित जवाबी कदम भी भारत की मौद्रिक नीति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे आर्थिक स्थिरता को खतरा उत्पन्न हो सकता है। इस स्थिति से निपटने के लिए भारत को रणनीतिक तैयारी करनी होगी।

ताजा सर्वेक्षणों के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप और उनकी डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस के बीच मुकाबला काफी नजदीकी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिकी जनता किसे अपना अगला राष्ट्रपति चुनती है और इसका भारत पर क्या असर पड़ता है। आरबीआई इस पर नज़र रखे हुए है कि नई अमेरिकी सरकार चीन पर कौन सी नीति अपनाती है, क्योंकि इससे भारत की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है।

यदि अमेरिका, चीन से आयातित सामानों पर नए टैरिफ लगाता है, तो इससे अमेरिका में महंगाई बढ़ने की संभावना है, जिसका प्रभाव भारत जैसे उभरते बाजारों पर भी पड़ेगा। इस स्थिति का असर भारतीय अर्थव्यवस्था और मौद्रिक नीति पर महत्वपूर्ण हो सकता है।

RBI को सख्त नीतियों की आवश्यकता

आरबीआई सूत्रों के मुताबिक, अगर आयातित महंगाई बढ़ती है, तो RBI को अपनी सख्त मौद्रिक नीति को लंबे समय तक जारी रखना पड़ सकता है।" भारत में खुदरा महंगाई दर सितंबर में नौ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। RBI ने पिछले 10 बैठकों में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन अक्टूबर में उसने अपना रुख 'तटस्थ' से बदलकर 'समायोजन की वापसी' कर दिया है।

केंद्रीय बैंक के अधिकारियों ने अभी तक ब्याज दरों में कटौती के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की है। इस बीच, RBI यह भी देख रहा है कि चीन अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए क्या कदम उठाता है। चीन अपनी सुस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अगले कुछ वर्षों में 10 ट्रिलियन युआन (1.4 ट्रिलियन डॉलर) से अधिक का अतिरिक्त कर्ज जुटाने पर विचार कर रहा है।

चीन के इस प्रयास से विदेशी निवेशक भारत और अन्य उभरते बाजारों से पैसा निकालकर चीन में निवेश कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, "फिलहाल, सभी उभरते बाजारों से पैसा चीन जा रहा है। अगर ट्रंप जीतते हैं, तो यह स्थिति और भी बदतर हो सकती है।

केंद्रीय बैंक की तैयारी

कुल मिलाकर, केंद्रीय बैंक का मानना है कि वह अमेरिकी चुनाव के बाद उत्पन्न होने वाली किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। हालांकि, यह देखना होगा कि यदि डोनाल्ड ट्रंप जीतते हैं, तो इसका वैश्विक बाजारों पर क्या असर पड़ता है और भारत को इससे कैसे बचाया जा सकता है।

अगर बाजार में तेजी से गिरावट आती है, तो RBI इसे प्रबंधित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा, जैसा कि उसने पहले भी किया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि रुपये की स्थिरता बनी रहे, RBI अपनी मौद्रिक नीति में समायोजन करेगा और विदेशी मुद्रा भंडार का सही उपयोग करेगा।

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