बांग्लादेश में पिछले कुछ सालों में हजारों लोग अचानक गायब हो गए हैं, और यह सिलसिला अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में, बांग्लादेश में एक जांच आयोग ने दावा किया है कि इन घटनाओं के पीछे बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके शासन के उच्च अधिकारियों का हाथ हो सकता है। यह रिपोर्ट एक अंतरिम जांच के तहत सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि देशभर में 3500 से ज्यादा लोग जबरन गायब किए गए हैं।
3500 से अधिक लोग लापता: जांच आयोग का खुलासा
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा गठित पांच सदस्यीय आयोग ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनुस के मुख्य सलाहकार को "सत्य का खुलासा" नामक अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में 3500 से अधिक लोग जबरन गायब हो चुके हैं। आयोग ने इस बात की पुष्टि की है कि इन घटनाओं में शेख हसीना और उनके शासन के शीर्ष सैन्य और पुलिस अधिकारियों का हाथ है। आयोग ने बताया कि गायब हुए लोगों को पकड़ने, प्रताड़ित करने और हिरासत में रखने का कार्य पुलिस की रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने किया था।
आयोग ने जिन नामों का किया खुलासा
रिपोर्ट में प्रमुख नामों का भी खुलासा किया गया है। इसके अनुसार, शेख हसीना के रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी, पूर्व महानिदेशक जियाउल अहसानंद और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोनिरुल इस्लाम सहित कई अन्य अधिकारियों का नाम इस जांच में सामने आया है। इन अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने जबरन गायब होने वाली घटनाओं में सक्रिय रूप से भूमिका निभाई थी। वहीं, कुछ पूर्व सैन्य और पुलिस अधिकारी भी इस मामले में फरार बताए जा रहे हैं, और माना जा रहा है कि वे शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद विदेश भाग गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज का बयान
आयोग के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मैनुल इस्लाम चौधरी ने खुलासा किया कि जबरन गायब होने की घटनाओं का एक "व्यवस्थित डिजाइन" था, जिसका उद्देश्य इन घटनाओं को अनदेखा करना था। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं के दौरान पीड़ितों के बारे में जानकारी तक नहीं दी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह सब किसी जानबूझकर की गई कार्रवाई का हिस्सा था। चौधरी ने यह भी बताया कि जबरन गायब होने वाले लोग कभी वापस नहीं लौटे, और जो लौटे, उन्हें पुलिस रिकॉर्ड में गिरफ्तार दिखाया गया।
आयोग ने उठाए कुछ महत्वपूर्ण कदम
इस रिपोर्ट के बाद आयोग ने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने का सुझाव दिया है। आयोग ने प्रस्ताव रखा है कि आतंकवाद-रोधी अधिनियम 2009 को खत्म किया जाए या उसमें व्यापक संशोधन किए जाएं, साथ ही RAB को समाप्त करने की सिफारिश की है। आयोग के सदस्य सज्जाद हुसैन ने कहा कि अब तक जबरन गायब किए गए 1676 मामलों की शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं, जिनमें से 758 मामलों की जांच की जा चुकी है। इन घटनाओं में से कई लोग कभी वापस नहीं लौटे, और जो लौटे, उन्हें जबरन गिरफ्तार दिखाया गया।
कुल मिलाकर एक गंभीर मामला
बांग्लादेश में हो रही यह जबरन गायब होने की घटनाएं एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी हैं। शेख हसीना और उनके शासन पर लगे इन आरोपों ने न केवल देश के अंदर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक बहस को जन्म दिया है। क्या शेख हसीना और उनके प्रशासन के शीर्ष अधिकारी इस मामले में सीधे शामिल हैं? इस सवाल का जवाब आने वाले समय में और भी स्पष्ट होगा।