बिहार के कई जिलों में इस समय बाढ़ ने गंभीर स्थिति पैदा कर दी है, जिससे कई गांव और घर पानी में डूब गए हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और उन्हें भोजन, दवा और अन्य आवश्यक सामग्रियों की व्यवस्था की जा रही है। राज्य सरकार और राहत एजेंसियां मिलकर राहत कार्यों में जुटी हैं।
पटना: बिहार में बाढ़ ने पहले ही कई जगहों पर कहर बरपा रखा है, जिससे लोगों का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है। इसी बीच, मौसम विभाग ने नए पूर्वानुमान जारी किए हैं, जिससे प्रदेश के लोगों की चिंता और बढ़ सकती है। हालांकि, राजधानी पटना सहित राज्य के अधिकांश हिस्सों में फिलहाल मौसम शुष्क रहेगा और कई जगहों पर सुबह और शाम आंशिक रूप से बादल छाए रहने की संभावना हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, अगले तीन दिनों में तापमान में कोई खास बदलाव की उम्मीद नहीं है, लेकिन उसके बाद राज्य के कई हिस्सों में हल्की बारिश हो सकती है। यह छिटपुट वर्षा बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत की उम्मीद जगा सकती है, लेकिन नए पानी का आगमन स्थिति को फिर से चुनौतीपूर्ण बना सकता है। अधिकारियों ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह दी गई हैं।
बगहा में अगले दो दिन होगी तेज बारिश
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा और भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी किए गए पूर्वानुमान के अनुसार, 21 से 25 सितंबर के बीच बिहार के कई हिस्सों में आसमान में बादल छाए रहेंगे, लेकिन अगले दो-तीन दिनों तक मौसम शुष्क रहेगा। इसके बाद, कुछ स्थानों पर हल्की बारिश होने की संभावना जताई गई है।इस पूर्वानुमान के अनुसार, किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बारिश का ध्यान रखते हुए खेती और अन्य कार्यों की योजना बनानी होगी। हल्की बारिश से कृषि गतिविधियों पर आंशिक प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन यह अधिकतर इलाकों के लिए फिलहाल गंभीर चुनौती नहीं बनेगी। मौसम विभाग ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है, ताकि किसी भी संभावित बदलाव के लिए तैयार रहा जा सके।
कई क्षेत्रों में कम बारिश धान की फसल हो सकती है प्रभावित
इस साल मानसून के दौरान औसत से कम बारिश होने के कारण खरीफ फसल, विशेषकर धान की उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ गई है। धान की खेती मुख्य रूप से बारिश पर निर्भर होती है, और इस साल पर्याप्त वर्षा नहीं होने से उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है। बगहा अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में धान को प्रमुख खरीफ फसल माना जाता है और किसानों का अधिकांश ध्यान धान की खेती पर ही केंद्रित रहता हैं।
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, बगहा दो प्रखंड में लगभग 11,000 एकड़ भूमि पर धान की खेती की गई है। हालांकि, बारिश की कमी से फसल की वृद्धि और उपज प्रभावित हुई है, जिससे बेहतर उत्पादन की संभावना काफी कम हो गई है। अब न केवल किसान बल्कि कृषि कर्मी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि इस साल धान की अच्छी पैदावार की उम्मीद नहीं की जा सकती। धान की उपज प्रभावित होने से किसानों की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ सकता है, और उन्हें वैकल्पिक उपायों पर विचार करना पड़ सकता हैं।
कृषि समन्वयक राजकुमार जायसवाल ने क्या कहा?
कृषि समन्वयक राजकुमार जायसवाल और संजय कुमार ने बताया है कि इस साल प्रति एकड़ 30 क्विंटल धान की उपज का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन खेतों में फसल की वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा। कम बारिश के कारण फसल की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जिससे उपज प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। हालांकि, कृषि कर्मियों ने किसानों को वैकल्पिक सिंचाई के माध्यम से फसल बचाने के उपाय सुझाए हैं, और इस प्रयास से कुछ हद तक स्थिति नियंत्रण में है। इस पहल से किसानों और कृषि कर्मियों के बीच अब भी अच्छी उपज की उम्मीद जीवित हैं।
अगर सितंबर के अंतिम सप्ताह या अक्टूबर के पहले सप्ताह में पर्याप्त बारिश होती है, तो फसल की स्थिति में सुधार हो सकता है, जिससे उपज बेहतर होने की संभावना है। लेकिन अगर बारिश नहीं होती, तो उपज पर नकारात्मक असर पड़ना तय है और धान की खेती से किसानों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाएगा।