देश की शैक्षिक यात्रा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई जब मिजोरम ने यूएलएलएएस (Understanding Lifelong Learning for All in Society) पहल के तहत भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य बनने का गौरव प्राप्त किया। इ
Mizoram Fully Literate State: देश की शिक्षा यात्रा में एक गौरवपूर्ण अध्याय जुड़ गया है। मिजोरम ने 98.2% की अभूतपूर्व साक्षरता दर के साथ भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य बनने का गौरव प्राप्त किया है। मुख्यमंत्री ललदूहोमा ने मिजोरम विश्वविद्यालय (एमजेडयू) परिसर में आयोजित एक विशेष समारोह में इस ऐतिहासिक उपलब्धि की औपचारिक घोषणा की।
यह उपलब्धि केंद्र सरकार की यूएलएलएएस (Understanding Lifelong Learning for All in Society) पहल के अंतर्गत हासिल की गई, जिसमें 95% से अधिक साक्षरता दर प्राप्त करना पूर्ण साक्षरता की मान्यता के लिए अनिवार्य माना गया है।
एक शिक्षा क्रांति का प्रतीक बना मिजोरम
समारोह में मुख्यमंत्री ललदूहोमा ने कहा, यह सिर्फ आंकड़ों की जीत नहीं, बल्कि मिजो समाज की सामूहिक चेतना, अनुशासन और शिक्षा के प्रति समर्पण का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि उन हज़ारों नागरिकों की मेहनत का नतीजा है, जिन्होंने शिक्षा के द्वार कभी बंद पाए, परन्तु उन्होंने दोबारा सीखने की लालसा नहीं छोड़ी।
मुख्यमंत्री ने उन 1,692 नागरिकों का विशेष उल्लेख किया जिन्होंने जीवन के दूसरे पड़ाव में शिक्षा को अपनाया और यह दर्शाया कि सीखना कभी बंद नहीं होता।
यह अंत नहीं, एक नई शुरुआत है
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में यह भी स्पष्ट किया कि यह उपलब्धि किसी अभियान का समापन नहीं, बल्कि शिक्षा, कौशल विकास और डिजिटल साक्षरता की दिशा में नए युग की शुरुआत है। उन्होंने कहा, अब हमारा अगला लक्ष्य हर नागरिक को डिजिटल, वित्तीय और व्यावसायिक साक्षरता से सशक्त करना है। यह अभियान अब मिजोरम को एक ज्ञान-समृद्ध समाज बनाने की ओर अग्रसर करेगा।
उन्होंने राज्य के सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे शिक्षा को अपनी शक्ति बनाएं और मिजोरम को न केवल देश में, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक मॉडल राज्य के रूप में स्थापित करें।
देश को गौरवान्वित करने वाली उपलब्धि
समारोह में केंद्रीय शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने भी शिरकत की और इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए मिजोरम को बधाई दी। उन्होंने कहा, यह दिन केवल मिजोरम के लिए नहीं, पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। मिजोरम ने यह दिखा दिया है कि एक संगठित प्रयास, नीति निर्धारण और नागरिक सहभागिता से क्या कुछ संभव हो सकता है। जयंत चौधरी ने मिजोरम को शिक्षा में आत्मनिर्भर भारत की मिसाल बताया और अन्य राज्यों को इससे प्रेरणा लेने की अपील की।
ऐसे मिली पूर्ण साक्षरता की मान्यता
मिजोरम को यह मान्यता शिक्षा मंत्रालय की "यूएलएलएएस" योजना के तहत मिली है। इसके अनुसार, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) 2023–2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य ने कुल 98.2% साक्षरता दर हासिल की है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता 99.2% और महिलाओं की 97% दर्ज की गई है। यह दर भारत सरकार द्वारा परिभाषित 95% की सीमा को पार करती है, जिसे "पूर्ण साक्षरता" की श्रेणी में रखा गया है।
इस तरह हुआ अभियान का संचालन
- इस ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे मिजोरम स्कूल शिक्षा विभाग का अथक परिश्रम रहा है।
- समग्र शिक्षा अभियान और नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत राज्य में राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण का गठन किया गया।
- इसके अंतर्गत एक गवर्निंग काउंसिल और कार्यकारी समिति गठित हुई।
- एससीईआरटी के अंतर्गत राज्य साक्षरता केंद्र की स्थापना की गई, जिसने मिजो भाषा में विशेष शिक्षण सामग्री विकसित की।
- कुल 3,026 निरक्षर लोगों की पहचान की गई, जिनमें से 1,692 ने स्वेच्छा से शिक्षा ग्रहण की।
- 292 स्वयंसेवी शिक्षकों की नियुक्ति की गई, जिन्होंने स्कूलों, सामुदायिक हॉलों और घर-घर जाकर शिक्षण कार्य किया।
अब जबकि मिजोरम ने शिक्षा की इस ऊंचाई को छू लिया है, यह देश के बाकी राज्यों के लिए एक उदाहरण बन गया है। इस अभियान से यह प्रमाणित हुआ है कि सकारात्मक नीति, प्रशासनिक इच्छाशक्ति और जनभागीदारी से कोई भी राज्य शत-प्रतिशत साक्षरता की ओर बढ़ सकता है।