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Education Department News: राजस्थान में शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा संकट, 160 सेकेंडरी स्कूलों को किया बंद, 10 दिनों में 400 से अधिक स्कूलों में ताला

Education Department News: राजस्थान में शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा संकट, 160 सेकेंडरी स्कूलों को किया बंद, 10 दिनों में 400 से अधिक स्कूलों में ताला
अंतिम अपडेट: 18-01-2025

Rajasthan: राजस्थान के शिक्षा विभाग ने हाल ही में प्रदेश भर में 450 सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया है। इस फैसले के तहत 160 सेकेंडरी स्कूल और 190 प्राइमरी स्कूलों को बंद किया गया। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के अनुसार, यह कदम उन स्कूलों की संख्या कम करने के लिए उठाया गया है जहां छात्र संख्या न के बराबर थी और शैक्षिक संसाधनों की भी भारी कमी थी। इन स्कूलों को बंद कर नजदीकी स्कूलों में मर्ज़ किया गया है। यह कदम राज्य के शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने की दिशा में उठाया गया है, लेकिन इसके साथ कई सवाल भी खड़े हो गए हैं।

बंद स्कूलों में सीनियर सेकेंडरी और प्राइमरी दोनों शामिल

बंद किए गए 260 स्कूलों में 14 सीनियर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं, जिनमें बच्चों का नामांकन बहुत कम था। इन स्कूलों को पास के अन्य स्कूलों में मर्ज़ कर दिया गया है। जयपुर, अजमेर, पाली, ब्यावर, बीकानेर, हनुमानगढ़, उदयपुर और जोधपुर जैसे प्रमुख जिलों के स्कूलों को मर्ज़ किया गया है। इसके अलावा, 9 प्राइमरी स्कूलों को हायर सेकेंडरी स्कूलों में मर्ज़ कर दिया गया हैं।

शिक्षा मंत्री का बयान

राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा, "हमने यह कदम बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए उठाया है। कांग्रेस सरकार के दौरान बिना सोचे-समझे स्कूल खोले गए थे, जहां न तो पर्याप्त संख्या में बच्चे थे और न ही शिक्षक। ऐसे स्कूलों में बच्चों का भविष्य खतरे में था, इसलिए इन्हें मर्ज़ किया गया है ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके।"

उन्होंने यह भी बताया कि एक ही परिसर में कई स्कूलों का संचालन करने से शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ रहा था। इसलिए, इन स्कूलों को मर्ज़ कर एक स्कूल बनाने का निर्णय लिया गया है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर हो सकेगी।

विरोध और विवाद

इस फैसले को लेकर विरोध भी सामने आया है। बीकानेर में बीजेपी विधायक अंशुमन सिंह भाटी के घर के पास स्थित एक गर्ल्स स्कूल को बंद कर दिया गया है। यह स्कूल एक ही परिसर में दो स्कूलों का संचालन कर रहा था, जिसे अब मर्ज़ करके बॉयज स्कूल में तब्दील कर दिया गया है। इस निर्णय के खिलाफ स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सरकार की शिक्षा नीति पर निशाना साधते हुए कहा, "सरकार का यह कदम गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने जैसा है। स्कूलों को बंद करने की बजाय, इन्हें सुधारने और विस्तार करने की आवश्यकता है।"

शिक्षा मंत्री का बचाव

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने विरोधियों के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, "हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले और शिक्षक उपलब्ध हों। हमने यह कदम बच्चों की भलाई के लिए उठाया है। हम विश्वास करते हैं कि इस बदलाव से बच्चों को बेहतर भविष्य मिलेगा।"

450 स्कूलों की बंदी का फैसला

पिछले 10 दिनों में 190 प्राइमरी स्कूलों और 260 सेकेंडरी स्कूलों समेत कुल 450 सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया गया है। हालांकि, अंग्रेजी मीडियम के महात्मा गांधी स्कूल को इस फैसले से बाहर रखा गया हैं।

आने वाला समय क्या होगा असर?

राजस्थान सरकार ने यह कदम शिक्षा व्यवस्था में सुधार के उद्देश्य से उठाया है, लेकिन इसके प्रभाव पर समय ही कुछ स्पष्ट कर सकेगा। फिलहाल, राज्य में नागरिकों और विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रियाएं मिलाजुली रही हैं। कुछ इसे आवश्यक सुधार मान रहे हैं, तो वहीं कुछ इसे शिक्षा के अधिकार पर आघात बता रहे हैं।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बदलाव से शिक्षा व्यवस्था में वाकई सुधार होता है, या फिर यह कदम बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए और अधिक परेशानी का कारण बनेगा।

राजस्थान में 450 स्कूलों को बंद करने का फैसला राज्य की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव लाने की दिशा में उठाया गया कदम है। हालांकि, इस फैसले को लेकर विरोध और सवाल उठ रहे हैं, जिनका समाधान जल्द से जल्द किया जाना जरूरी होगा ताकि बच्चों की शिक्षा पर कोई नकारात्मक असर न पड़े।

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