बीसीसीआई ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। बोर्ड ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी से इम्पैक्ट प्लेयर के नियम को हटा दिया है। घरेलू क्रिकेट से इम्पैक्ट प्लेयर के नियम को हटाने की संभावना पहले से ही जताई जा रही थी। हालांकि, इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में यह नियम लागू रहेगा। लीग की शुरुआत अगले साल मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में हो सकती है।
Impact Player Rule: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। बोर्ड ने आईपीएल 2025 से पूर्व डोमेस्टिक ट्वेंटी-20 प्रतियोगिता सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी (SMAT) से इम्पैक्ट प्लेयर नियम (Impact Player Rule) को हटा दिया है। इस बात की संभावना पहले से ही थी कि घरेलू क्रिकेट से यह नियम हटाया जा सकता है। हालांकि, इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में यह नियम लागू रहेगा। BCCI ने सभी IPL फ्रेंचाइजियों को सूचित किया था कि इस नियम को IPL के अगले सत्र के लिए बनाए रखा जाएगा।
टूर्नामेंट की 23 नवंबर से शुरुआत
सैयद मुश्ताक अली टूर्नामेंट (Syed Mushtaq Ali Trophy) की शुरुआत 23 नवंबर से होगी और यह 15 दिसंबर तक चलेगा। बीसीसीआई ने बताया है, "बीसीसीआई ने इस सीजन में 'इम्पैक्ट प्लेयर' नियम को समाप्त करने का निर्णय लिया है।" इसके अलावा, बोर्ड ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में गेंदबाजों को एक ओवर में दो बाउंसर फेंकने की अनुमति देने का निर्णय बरकरार रखा है।
इम्पैक्ट प्लेयर नियम क्या है?
इम्पैक्ट प्लेयर नियम के तहत, टीम टॉस से पहले 4 सब्स्टीट्यूट खिलाड़ियों के नाम घोषित करती है। इन खिलाड़ियों में से किसी एक का उपयोग मैच के दौरान किया जा सकता है। हालांकि, टीम केवल पारी के 14वें ओवर से पहले इम्पैक्ट प्लेयर का उपयोग कर सकती है। इस नियम के अनुसार, एक खिलाड़ी को मैदान से बाहर जाना होता है, और उसकी जगह इम्पैक्ट प्लेयर खेल में शामिल होता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि बाहर गए खिलाड़ी को मैच के दौरान फिर से खेलने की अनुमति नहीं होती।
कब करते थे इनका इस्तेमाल?
किसी ओवर के समाप्त होने, विकेट गिरने या फिर किसी खिलाड़ी के चोटिल होने की स्थिति में ही इंपैक्ट प्लेयर को मैदान पर उतारा जा सकता था। बीच मैच में इस नियम का उपयोग नहीं किया जा सकता था। यदि कोई बल्लेबाज पहले से बल्लेबाजी कर चुका है या कोई गेंदबाज अपने निर्धारित ओवर फेंक चुका है, तो उसके स्थान पर इंपैक्ट प्लेयर का उपयोग किया जा सकता था।
अगर मैच 10 ओवर या उससे कम का होता था, तो यह नियम लागू नहीं होता था। किसी टीम को इस नियम का पालन करने के लिए बाध्य नहीं किया गया था। इस नियम के तहत टीम को एक अतिरिक्त गेंदबाज या बल्लेबाज मिल जाता था। यदि किसी खिलाड़ी का दिन खराब जा रहा हो, तो इंपैक्ट प्लेयर उसकी कुछ हद तक भरपाई कर सकता था।
इससे पहले, वर्ष 2005 में ICC ने सब्स्टीट्यूट के नियम का परीक्षण किया था। उस समय इसे 'सुपर सब' के नाम से जाना जाता था। बिग बैश में भी इस तरह का नियम मौजूद है, जहां इसे 'एक्स फैक्टर' के नाम से जाना जाता है।