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IPL 2025: नरेंद्र मोदी स्टेडियम में धोनी फैंस को झटका, 'झंडा बैन' विवाद से मचा बवाल

GT vs CSK मुकाबले में रविवार को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में चेन्नई सुपर किंग्स ने दमदार प्रदर्शन करते हुए गुजरात टाइटंस को 83 रनों से हराया। चेन्नई की ओर से डेवाल्ड ब्रेविस ने तूफानी बल्लेबाजी करते हुए मात्र 23 गेंदों में 57 रन बनाए और अपनी टीम को एक मजबूत स्कोर तक पहुंचाया।

स्पोर्ट्स न्यूज़: आईपीएल 2025 का रोमांच अपने चरम पर है, लेकिन रविवार को खेले गए गुजरात टाइटंस (GT) बनाम चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) मुकाबले ने मैदान से ज्यादा सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोरीं। मुकाबला तो सीएसके ने 83 रनों से जीत लिया, लेकिन चर्चा का केंद्र कुछ और ही रहा नरेंद्र मोदी स्टेडियम में CSK का झंडा ले जाने पर पाबंदी।

मैच के दौरान स्टेडियम में आए कई फैंस ने आरोप लगाया कि उन्हें CSK का झंडा अंदर ले जाने की इजाजत नहीं दी गई। यह मामला तब और तूल पकड़ गया जब एक फैन ने सोशल मीडिया पर लिखा, नरेंद्र मोदी स्टेडियम में CSK का झंडा ले जाने की अनुमति नहीं है। यह ट्वीट कुछ ही मिनटों में वायरल हो गया और इसके बाद बहस छिड़ गई कि क्या एक टीम के फैंस को उनकी पसंदीदा टीम का समर्थन करने से रोका जा सकता है?

स्टेडियम में पीली जर्सियों की बाढ़, लेकिन झंडों पर रोक?

मैच से पहले ही स्टेडियम का नजारा किसी ‘चेपॉक’ की याद दिला रहा था। हजारों की संख्या में एमएस धोनी के प्रशंसक पीली जर्सी पहनकर पहुंचे थे। गुजरात का यह होम ग्राउंड उस दिन सीएसके का किला नजर आ रहा था। लेकिन झंडे न ले जाने देने की खबरों ने कई फैंस को निराश कर दिया। सोशल मीडिया पर एक अन्य यूज़र ने कमेंट किया, "हर जगह पीला रंग, यहां तक कि अवे ग्राउंड भी होम ग्राउंड जैसा लगता है। 

मुझे चिन्नास्वामी स्टेडियम में सीटी भी नहीं ले जाने दी गई थी।" यह बयान सिर्फ नाराजगी ही नहीं, बल्कि आईपीएल जैसे टूर्नामेंट की 'फैन-फर्स्ट' भावना पर भी सवाल खड़े करता है।

क्या आयोजकों का डर जायज़ है?

यह तर्क दिया जा रहा है कि घरेलू टीम के मैदान पर यदि विरोधी टीम के झंडों की भरमार हो जाए, तो उससे मैदान का माहौल बिगड़ सकता है या घरेलू टीम को मनोवैज्ञानिक रूप से नुकसान हो सकता है। लेकिन आईपीएल जैसी व्यावसायिक और बहुराष्ट्रीय लीग में ऐसी पाबंदियां अनैतिक ही नहीं, बल्कि अनावश्यक भी मानी जा रही हैं।

फैंस का कहना है कि जब टिकट खरीद कर हम मैच देखने आते हैं, तो हमें अपनी टीम के लिए आवाज़ उठाने का पूरा हक़ है, चाहे वो फ्लैग हो या पोस्टर। मैच से ज्यादा निगाहें एमएस धोनी पर टिकी थीं। अटकलें थीं कि यह उनका आखिरी मुकाबला हो सकता है। यही कारण था कि पूरे स्टेडियम में धोनी के पोस्टर, बैनर और पीली जर्सियां देखने को मिलीं। ऐसे में फ्लैग बैन की खबर ने फैंस को और आहत किया।

धोनी ने मैच के बाद रिटायरमेंट पर बोलते हुए कहा, मैं अभी संन्यास नहीं ले रहा हूं और ना ही कह रहा हूं कि जरूर लौटूंगा। मैं 4-5 महीने का ब्रेक लेकर सोचूंगा। इस बयान ने फैंस को थोड़ी राहत दी, लेकिन यह साफ है कि हर मैच अब उनके लिए एक संभावित विदाई जैसा है, और ऐसे में समर्थकों की भावनाएं और जुड़ाव भी चरम पर हैं।

इस पूरे विवाद ने आईपीएल आयोजकों और बीसीसीआई की फैन फ्रेंडली पॉलिसी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या सुरक्षा के नाम पर फैंस के उत्साह और समर्थन को कुचलना सही है? क्या एक टीम के फैंस को इसलिए रोका जाना चाहिए क्योंकि वे संख्या में ज्यादा हैं?

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