Indian AI: 10 महीने में लॉन्च होगा स्वदेशी जनरेटिव AI मॉडल, अमेरिका और चीन के दबदबे को चुनौती देगा भारत, जानिए पूरी खबर

Indian AI: 10 महीने में लॉन्च होगा स्वदेशी जनरेटिव AI मॉडल, अमेरिका और चीन के दबदबे को चुनौती देगा भारत, जानिए पूरी खबर
अंतिम अपडेट: 3 घंटा पहले

Indian AI: भारत जल्द ही अपना स्वदेशी जनरेटिव AI मॉडल लॉन्च करने जा रहा है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी घोषणा की और बताया कि अगले दस महीने में यह मॉडल उपलब्ध होगा। यह मॉडल अमेरिका और चीन के AI मॉडल्स को चुनौती देगा। सरकार ने इस परियोजना के लिए 10 प्रमुख कंपनियों को शॉर्टलिस्ट किया है, जिनका सहयोग इस महत्वपूर्ण मिशन में लिया जाएगा।

स्वदेशी AI मॉडल क्या है खास?

भारत का स्वदेशी AI मॉडल आने वाले समय में ChatGPT, Gemini और DeepSeek जैसे पॉपुलर AI मॉडल्स के सामने एक नई चुनौती प्रस्तुत करेगा। सरकार का उद्देश्य है कि भारत को AI के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया जाए।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस AI मिशन के लिए 10 प्रमुख कंपनियों को शॉर्टलिस्ट किया गया है, जिसमें रिलायंस जियो, टाटा कॉम्युनिकेशन, ओरिएंट टेक, और योट्टा कॉम जैसी कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों के सहयोग से भारत का स्वदेशी AI मॉडल तैयार होगा, जो विभिन्न उद्योगों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकेगा।

भारत के AI मिशन का उद्देश्य

भारत का "India AI Mission" एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसका उद्देश्य AI का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में जैसे हेल्थ, एजुकेशन, एग्रीकल्चर, और टेक्नोलॉजी में बढ़ावा देना है। इस मिशन के तहत, सरकार ने AI कंप्यूटिंग इकोसिस्टम के लिए 10,000 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इसके साथ ही सरकार एआई से जुड़े स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा दे रही है, ताकि AI तकनीकी के क्षेत्र में भारत अपनी एक नई पहचान बना सके।

GPU का महत्व AI ट्रेनिंग के लिए आवश्यक

AI मॉडल्स को प्रशिक्षित करने के लिए एडवांस और हाई-परफॉर्मेंस ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट्स (GPU) की आवश्यकता होती है। भारत ने इस उद्देश्य के लिए सरकारी कंप्यूटिंग फैसिलिटी में 18,693 GPU उपलब्ध कराए हैं। ये GPUs AI मॉडल्स के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स को प्रशिक्षित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकी ढांचा चाहिए। इस संदर्भ में, भारत ने AI कंप्यूटिंग के लिए उच्च गुणवत्ता वाले इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया हैं।

प्राइवेसी और सुरक्षा पर विशेष ध्यान

स्वदेशी AI मॉडल के विकास के साथ-साथ, सरकार यूजर्स की प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा के मामलों पर भी विशेष ध्यान दे रही है। इस संबंध में, अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार यूजर्स की सुरक्षा को लेकर गंभीर है और जल्द ही DeepSeek जैसी कंपनियों से भारत में सर्वर लगाने के लिए कहेगी। इससे भारत में डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और यूजर्स की प्राइवेसी को भी बेहतर तरीके से संरक्षित किया जाएगा।

AI कंप्यूटिंग इकोसिस्टम क्यों है यह जरूरी?

AI कंप्यूटिंग इकोसिस्टम की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि उच्च गुणवत्ता वाले GPU कंप्यूटरों की मदद से ही AI मॉडल्स को प्रशिक्षित किया जा सकता है। इसके लिए एडवांस लैब्स और हाई-प्रोफॉर्मेंस इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होती है। भारत में इस दिशा में काम शुरू हो चुका है और सरकार ने इस प्रयास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था की हैं।

भारत का उद्देश्य है कि वह अमेरिका और चीन के दबदबे को चुनौती देते हुए AI में अपनी एक अलग पहचान बनाए। पिछले दिनों, चीन की एक स्टार्टअप कंपनी ने DeepSeek AI मॉडल लॉन्च किया था, जिसे काफी सुर्खियां मिली थीं। अब भारत के पास अपने AI मॉडल को लॉन्च करने का मौका है, जो न केवल देश की अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाएगा, बल्कि दुनिया भर में AI के क्षेत्र में भारत को एक नया मुकाम हासिल होगा।

भारत का स्वदेशी AI मॉडल न केवल तकनीकी क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह AI के भविष्य को भी नई दिशा देने का काम करेगा। सरकार का यह कदम न केवल उद्योगों में बदलाव लाएगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा। आने वाले समय में, जब भारत का AI मॉडल दुनिया में अपनी पहचान बनाएगा, तो यह देश को तकनीकी दृष्टिकोण से एक वैश्विक नेता के रूप में प्रस्तुत करेगा।

अब देखना यह होगा कि भारत का स्वदेशी AI मॉडल किस प्रकार से अमेरिका और चीन जैसे शक्तिशाली देशों के AI मॉडल्स को चुनौती देता है, और इसके परिणामस्वरूप किस प्रकार का वैश्विक प्रभाव उत्पन्न होता हैं।

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