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Perplexity AI के CEO ने Google के AI असिस्टेंट को बताया ‘भयानक उत्पाद’, कहा – वो नहीं चाहते कि हम सफल हों

Perplexity AI के CEO ने Google के AI असिस्टेंट को बताया ‘भयानक उत्पाद’, कहा – वो नहीं चाहते कि हम सफल हों

अरविंद श्रीनिवास ने Google के AI असिस्टेंट कमजोर बताया और कहा कि Google उन्हें सफल नहीं देखना चाहता। नई कंपनियां AI में बेहतर तकनीक और विकल्प ला रही हैं।

जनरेटिव AI के ज़माने में नए स्टार्टअप Perplexity AI ने अपनी अनूठी तकनीक और महत्वाकांक्षाओं के चलते टेक इंडस्ट्री में खूब सुर्खियां बटोरी हैं। हाल ही में कंपनी के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने Google के AI रोलआउट और खासकर उनके AI असिस्टेंट उत्पाद की तीखी आलोचना की है। इस बात से साफ हो गया है कि बड़े टेक दिग्गजों के बीच AI के क्षेत्र में टक्कर अब और भी कड़ी होने वाली है।

Perplexity AI: एक नई सोच, एक नई चुनौती

Perplexity AI की स्थापना 2022 में हुई और यह स्टार्टअप इंटरनेट सर्च को पूरी तरह नया रूप देने का दावा करता है। यह कंपनी जनरेटिव AI का इस्तेमाल करते हुए उपयोगकर्ताओं को सटीक, विश्वसनीय और बिना विज्ञापनों के जटिल जवाब देने पर फोकस करती है। पारंपरिक सर्च इंजनों के विपरीत, Perplexity AI एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो सवालों के जवाब स्रोत सहित देता है, जिससे यूजर को भरोसा और विश्वसनीयता दोनों मिलती हैं।

ब्लूमबर्ग न्यूज के मुताबिक, Perplexity AI इस वक्त 14 अरब डॉलर (लगभग 1,20,036 करोड़ रुपये) के मूल्यांकन के साथ नए फंडिंग राउंड के लिए बातचीत कर रही है, जो इस स्टार्टअप की तेजी से बढ़ती महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।

Google के AI असिस्टेंट पर कड़ी आलोचना

सैन फ्रांसिस्को में हाल ही में हुए ब्लूमबर्ग टेक समिट 2025 में अरविंद श्रीनिवास ने Google के AI असिस्टेंट की जमकर आलोचना की। उन्होंने इसे 'भयानक उत्पाद' बताया और कहा कि Google हर साल एआई की नई सुविधा तो पेश करता है, लेकिन वह उसे उपभोक्ताओं तक सही तरीके से पहुंचाने में नाकाम रहता है।

उनका कहना था, 'Google हर साल वही पुरानी AI फीचर्स को दोहराता है लेकिन उपयोगकर्ता उन्हें नहीं पा पाते। इस तरह की रणनीति से टेक्नोलॉजी में प्रगति रुक जाती है।'

Google से प्रतिस्पर्धा और साझेदारी में बाधाएं

अरविंद श्रीनिवास ने यह भी कहा कि Google ने Perplexity को स्मार्टफोन निर्माताओं के साथ साझेदारी करने में भारी बाधाएं डाली हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, 'Google ने हमें मुश्किल हालात में डाल दिया है। वे निश्चित रूप से नहीं चाहते कि हम सफल हों।'

हालांकि उन्होंने Google की ओर से उठाए गए कदमों की विस्तार से जानकारी नहीं दी, पर यह बयान बताता है कि बड़े टेक दिग्गज प्रतिस्पर्धा को लेकर कितना सख्त रवैया अपना रहे हैं।

Samsung के साथ संभावित गठजोड़

Perplexity AI ने अपनी तकनीक को Samsung के उपकरणों में एकीकृत करने के लिए बातचीत शुरू कर दी है। अगर यह सौदा सफल होता है, तो Samsung Google के AI सॉफ्टवेयर पर अपनी निर्भरता कम कर सकता है।

यह साझेदारी न केवल Perplexity के लिए बड़ा बिजनेस अवसर होगी, बल्कि टेक इंडस्ट्री में AI के इस्तेमाल के परिदृश्य को भी बदल सकती है।

Perplexity का भविष्य: AI की 'सटीकता परत'

Perplexity AI के सीईओ का मानना है कि उनकी कंपनी भविष्य में खरबों डॉलर के बाजार मूल्यांकन तक पहुंच सकती है। उन्होंने कहा,
'हर दिन दुनिया भर में खुदरा, वित्त, शेयर बाजार और एक्सचेंज में खरबों डॉलर के फैसले होते हैं। अगर Perplexity उन फैसलों में सटीकता और विश्वसनीयता ला सके, तो हम बाजार में अपनी बड़ी जगह बना सकते हैं।'

उनका यह भी दावा है कि Perplexity आने वाले वर्षों में इंटरनेट पर खोज के तरीके को पूरी तरह बदल देगा और AI की एक नई परत के रूप में उभरेगा।

Google के विरुद्ध नवाचार की लड़ाई

Google की मूल कंपनी Alphabet का बाजार मूल्यांकन लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर (करीब 1,71,46,810 करोड़ रुपये) है। ऐसे में पेरप्लेक्सिटी जैसी युवा स्टार्टअप का इस विशाल दिग्गज के खिलाफ खड़ा होना एक साहसिक कदम है।

यह लड़ाई सिर्फ बाजारी हिस्सेदारी की नहीं, बल्कि इंटरनेट के भविष्य और एआई तकनीक के विकास की भी है। पेरप्लेक्सिटी की यह चुनौती साबित करती है कि टेक्नोलॉजी की दुनिया में नवाचार और नए विचारों का हमेशा स्वागत होता है, भले ही उसका सामना बड़े खिलाड़ियों से हो।

एआई टेक्नोलॉजी में बदलाव की संभावना

एआई टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में पेरप्लेक्सिटी जैसी नई कंपनियों के आने से बड़े बदलाव की उम्मीद है। गूगल जैसे बड़े टेक्नोलॉजी दिग्गज कभी-कभी पुराने और स्थिर तरीकों पर अड़े रहते हैं, जबकि ये युवा स्टार्टअप नए प्रयोग और इनोवेशन के साथ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इस वजह से एआई आधारित सर्च और असिस्टेंट तकनीक में नए फीचर्स और बेहतर सर्विस मिलना संभव होगा। इससे यूजर्स को ज्यादा विकल्प, बेहतर अनुभव और तेजी से तकनीकी सुधार का फायदा मिलेगा, जिससे उनकी ऑनलाइन जरूरतें और भी बेहतर तरीके से पूरी हो सकेंगी।

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