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फूड इंडस्ट्री में ChatGPT की एंट्री! ब्राउनी टेस्ट पर AI का अनोखा एक्सपेरिमेंट

फूड इंडस्ट्री में ChatGPT की एंट्री! ब्राउनी टेस्ट पर AI का अनोखा एक्सपेरिमेंट
अंतिम अपडेट: 1 दिन पहले

आजकल हर सेक्टर में Artificial Intelligence (AI) ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है – चाहे वो हेल्थ हो, एजुकेशन, एंटरटेनमेंट या फिर कॉर्पोरेट वर्ल्ड। लेकिन अब AI की एंट्री खाने के टेस्ट यानी Food Sensory Evaluation में भी हो चुकी है।

फूड इंडस्ट्री में AI की एंट्री

AI अब हर इंडस्ट्री में कदम रख चुका है – हेल्थ, एजुकेशन, एंटरटेनमेंट और अब फूड सेक्टर भी इससे अछूता नहीं रहा। अमेरिका की University of Illinois Urbana-Champaign में हुई एक स्टडी में शोधकर्ताओं ने यह जानने की कोशिश की कि क्या AI मॉडल – खासकर ChatGPT – का उपयोग खाने की चीजों का सेंसरी इवैल्युएशन करने में किया जा सकता है।

क्या है सेंसरी इवैल्युएशन?

जब हम कोई खाना खाते हैं, तो हम सिर्फ उसका स्वाद नहीं, बल्कि उसकी महक, टेक्सचर (बनावट), रंग और मुंह में आने वाला कुल अनुभव भी महसूस करते हैं। इसे ही फूड साइंस की भाषा में सेंसरी इवैल्युएशन कहते हैं। आमतौर पर ये काम ह्यूमन टेस्टिंग पैनल्स करते हैं – यानी कुछ लोग अलग-अलग डिशेज चखते हैं और उन्हें रेटिंग देते हैं।

लेकिन इस बार वैज्ञानिकों ने इस काम के लिए इंसानों की जगह ChatGPT को चुना।

AI ने कैसे किया टेस्ट?

Torrico ने ChatGPT को हर रेसिपी के इंग्रीडिएंट्स दिए और उससे पूछा कि अगर ये ब्राउनी बनाई जाए, तो उसका स्वाद (taste), बनावट (texture) और खाने का ओवरऑल अनुभव कैसा हो सकता है।

AI ने हर रेसिपी पर जो राय दी, उसे रिसर्चर्स ने तीन कैटेगरीज में बांटा –

Positive (अच्छा फीडबैक)
Negative (बुरा फीडबैक)
Neutral (संतुलित राय)

इसके बाद उन्होंने देखा कि क्या AI का आकलन इंसानों की सोच से मेल खाता है या नहीं।

इंसानों की जगह AI क्यों?

टोरिको का कहना है कि जब कई फूड प्रोडक्ट्स एक साथ टेस्ट करने हों, तो ह्यूमन पैनल बनाना बहुत समय लेने वाला काम होता है। इसके लिए लोगों को बुलाना, उन्हें ट्रेन करना, फिर सैंपल देना – ये सब लंबा प्रोसेस है। कई बार कुछ सामग्री ऐसी होती हैं जिन्हें खाना सुरक्षित नहीं होता, लेकिन फिर भी उनका टेस्ट जानना जरूरी होता है। ऐसे में AI जैसे टूल्स काफी मददगार हो सकते हैं।

AI किसी भी रेसिपी का एनालिसिस कर सकता है, उसके इंग्रीडिएंट्स को समझ सकता है और यह अंदाजा लगा सकता है कि वह स्वाद में कैसी हो सकती है – बिना उसे चखे हुए।

AI के रिजल्ट ने किया हैरान

रिसर्च में सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि ChatGPT ने लगभग हर ब्राउनी रेसिपी को बहुत पॉजिटिव फीडबैक दिया – यहां तक कि उन रेसिपीज को भी जिनमें mealworms और fish oil जैसे अजीब इंग्रीडिएंट्स थे।

Torrico के मुताबिक, यह व्यवहार "Hedonic Asymmetry" नाम के साइकोलॉजिकल थ्योरी से मेल खाता है। इस सिद्धांत के अनुसार, इंसान (या AI जो इंसान जैसा सोचता है) चीजों की अच्छाई को ज़्यादा हाइलाइट करता है और निगेटिव पहलुओं को नजरअंदाज करता है।

क्या AI पर पूरी तरह भरोसा किया जा सकता है?

नहीं। अभी के लिए AI सिर्फ एक अनुमान (prediction) देता है। वो असली स्वाद नहीं जान सकता, क्योंकि वो खुद कुछ खा नहीं सकता। इसलिए AI को एक Tool की तरह इस्तेमाल करना बेहतर है, न कि Taste Judge की तरह।

जब यही टेक्नोलॉजी और डेवलप हो जाएगी, तब शायद AI मॉडल्स इतने स्मार्ट हो जाएंगे कि वे इंसानी टेस्ट पैटर्न को और करीब से समझ सकें।

क्या भविष्य में फूड टेस्टिंग इंसानों के बिना होगी?

इस स्टडी से ये संकेत मिलते हैं कि भविष्य में AI, खासकर बड़े लैंग्वेज मॉडल्स जैसे ChatGPT, फूड इंडस्ट्री में बहुत काम आ सकते हैं। खासतौर पर तब, जब कोई नया प्रोडक्ट डेवलप करना हो या रेसिपी में कुछ बदलाव करना हो।

AI बिना किसी टेस्टिंग टीम के, बिना किसी लैब सेटअप के, सिर्फ एक टेक्स्ट इनपुट लेकर फूड की क्वालिटी पर रिएक्शन दे सकता है। इससे ना केवल समय बचेगा बल्कि रिसर्च की स्पीड भी कई गुना बढ़ जाएगी।

इस स्टडी ने फूड टेक्नोलॉजी में एक नया आयाम खोल दिया है। अगर AI सही दिशा में ट्रेंड किया जाए और इसके लिमिटेशन्स को समझा जाए, तो यह फूड डेवेलपमेंट में एक बड़ी क्रांति ला सकता है।

शायद आने वाले समय में जब आप कोई ब्राउनी खा रहे होंगे, तो वह रेसिपी किसी शेफ ने नहीं, बल्कि AI ने डिजाइन की हो – और टेस्ट में भी उसकी भूमिका रही हो।

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