केंद्र सरकार का उबर और ओला पर सख्त कदम! फोन के आधार पर किराया वसूलने के आरोपों पर कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा

केंद्र सरकार का उबर और ओला पर सख्त कदम! फोन के आधार पर किराया वसूलने के आरोपों पर कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा
Last Updated: 8 घंटा पहले

Uber-Ola: केंद्र सरकार ने प्रमुख कैब सेवा प्रदाता कंपनियों ओला और उबर को नोटिस जारी कर उनके खिलाफ लगे आरोपों पर सफाई मांगी है। आरोप है कि ये कंपनियां विभिन्न मोबाइल फोन के आधार पर अलग-अलग किराया वसूलती हैं, जिससे उपभोक्ताओं में असंतोष फैल गया है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब सोशल मीडिया पर यूजर्स ने दावा किया कि एक जैसी यात्रा के लिए आईफोन और एंड्रॉयड पर किराये में अंतर दिखता है। अब, इन आरोपों का जवाब देने के लिए उबर सामने आई हैं।

सरकार का कदम और नोटिस

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोबाइल फोन के विभिन्न मॉडल्स के आधार पर किराया तय करना गलत है और यह उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन है। जोशी ने इससे पहले भी इस मुद्दे को अनुचित करार दिया था और कहा था कि उपभोक्ता के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।

सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इस बारे में शिकायत की थी कि एक जैसे पिकअप प्वाइंट, डेस्टिनेशन, और समय होने के बावजूद आईफोन और एंड्रॉयड के लिए किराए में फर्क दिखाई देता है। एक यूजर ने दावा किया था, “मेरे पास हमेशा उबर पर ज्यादा किराया दिखता है, जबकि मेरी बेटी के फोन पर कम। क्या यह केवल मेरे साथ होता है?” इस तरह के कई ट्वीट्स ने इस मुद्दे को और बढ़ाया।

उबर का खंडन और सफाई

नोटिस मिलने के बाद उबर ने इन आरोपों का खंडन किया और एक बयान जारी किया। कंपनी के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि राइडर के फोन के मॉडल के आधार पर किराया तय नहीं किया जाता। उन्होंने कहा, “हमारी किराया निर्धारण प्रणाली पूरी तरह से यात्रा की अनुमानित दूरी, समय और ट्रैफिक जैसे विभिन्न कारकों पर आधारित है। हमारा उद्देश्य किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करना है।”

उबर ने यह भी कहा कि कंपनी सरकार के साथ मिलकर इस गलतफहमी को दूर करने के प्रयास करेगी, ताकि उपभोक्ताओं में उत्पन्न हुए संदेह को दूर किया जा सके। कंपनी ने अपने किराया निर्धारण प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बताया और कहा कि इसमें किसी प्रकार का पक्षपाती व्यवहार नहीं हैं।

किराया निर्धारण प्रणाली का कार्यान्वयन

उबर और ओला दोनों ही कंपनियां अपनी किराया निर्धारण प्रणाली में यात्रा की दूरी, समय, ट्रैफिक की स्थिति और मांग के पैटर्न को ध्यान में रखती हैं। हालांकि, कभी-कभी उच्च मांग या ट्रैफिक जाम के कारण किराया बढ़ सकता है, जिससे यूजर्स को किराए में अंतर महसूस हो सकता है। इन कंपनियों ने ग्राहकों से अनुरोध किया है कि वे अपनी यात्रा के समय और स्थान के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सही और उचित किराया चुका रहे हैं।

क्या है उपभोक्ता का अधिकार?

केंद्र सरकार ने ओला और उबर को चेतावनी दी है कि यदि भविष्य में उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सरकार का कहना है कि यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि सभी उपभोक्ताओं को समान और पारदर्शी सेवा मिले।

यह मामला दोनों कंपनियों के लिए एक चेतावनी बन गया है कि वे अपने उपभोक्ताओं को बेहतर तरीके से सूचित करें और उनके संदेहों को दूर करने के लिए कदम उठाएं। इस विवाद के बाद, कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी सेवा पूरी तरह से पारदर्शी और उपभोक्ताओं के अधिकारों के अनुरूप हो।

कंपनियों के लिए चुनौती

उबर और ओला दोनों कंपनियों के लिए यह एक चुनौती है कि वे यह साबित करें कि उनका किराया निर्धारण प्रणाली पूरी तरह से निष्पक्ष है। यदि इन कंपनियों की सफाई में कोई कमी पाई जाती है तो सरकार को आगे कड़ी कार्रवाई करनी पड़ सकती हैं।

इस बीच, यह भी ज़रूरी है कि उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में अधिक जानकारी हो, ताकि वे किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बच सकें। अगर भविष्य में कोई गंभीर कार्रवाई की जाती है, तो यह दोनों कंपनियों के लिए एक बड़ा संकेत होगा कि वे अपनी सेवाओं को और बेहतर बना सकें।

यह मामला उपभोक्ता अधिकारों और कंपनियों की पारदर्शिता के बीच की खाई को उजागर करता है। अब यह देखना होगा कि ओला और उबर इन आरोपों का क्या जवाब देती हैं और भविष्य में उपभोक्ताओं को लेकर उनकी नीतियों में किस प्रकार का बदलाव होता है। सरकार का कदम दोनों कंपनियों के लिए यह संदेश देता है कि उपभोक्ता हितों की अनदेखी करना अब और नहीं चलेगा।

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