New controversy on Uber: हाल ही में, कैब सर्विस देने वाली कंपनी Uber पर कुछ गंभीर आरोप लगे हैं, जिनमें यह दावा किया गया है कि कंपनी स्मार्टफोन के प्रकार, जैसे आईफोन और एंड्रॉयड, के आधार पर अलग-अलग किराया वसूलती है। अब एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है, जिसमें एक यूजर के एक्सपेरिमेंट के जरिए यह बात खुलकर सामने आई है कि फोन की बैटरी कम होने पर भी किराए में अंतर हो सकता है। आइए जानते हैं इस पूरे मामले की पूरी जानकारी और क्या है इस एक्सपेरिमेंट का सच।
आईफोन और एंड्रॉयड पर किराए में अंतर
क्या कभी आपने सोचा है कि Uber का किराया आपके स्मार्टफोन के प्रकार पर निर्भर कर सकता है? यह सवाल तब उठता है जब एक यूजर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने अनुभव साझा किए। ऋषभ सिंह, जो एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के संस्थापक हैं, ने बताया कि उन्होंने दो आईफोन और दो एंड्रॉयड स्मार्टफोनों से एक ही अकाउंट से, एक ही लोकेशन और एक ही समय पर राइड बुक की थी। इस दौरान उन्होंने पाया कि एंड्रॉयड फोन पर किराया आईफोन के मुकाबले कम था। इसने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है कि क्या Uber स्मार्टफोन के प्रकार के आधार पर किराया वसूलता है?
बैटरी कम होने से किराए में अंतर
ऋषभ सिंह ने अपनी पोस्ट में यह भी बताया कि फोन की बैटरी का स्तर भी किराए पर असर डालता है। उनके अनुसार, जिस फोन की बैटरी कम थी, उस फोन से राइड बुक करने पर किराया अधिक दिखाया गया, जबकि फुल बैटरी वाले फोन से किराया कम था। यह बेहद दिलचस्प और चौंकाने वाला खुलासा है, क्योंकि जब फोन की बैटरी कम होती है, तो यूजर्स के पास अन्य विकल्प कम होते हैं, और Uber इस स्थिति का फायदा उठाकर अधिक किराया दिखा सकती हैं।
क्या Uber सच में बैटरी के आधार पर किराया बढ़ाती है?
यह पहली बार नहीं है जब Uber पर इस तरह के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने दावा किया था कि कंपनी स्मार्टफोन के प्रकार, जैसे एंड्रॉयड और आईफोन, के आधार पर किराए में अंतर करती है। कुछ दिन पहले एक और यूजर ने यह बताया था कि एंड्रॉयड फोन से राइड बुक करने पर किराया कम आता है, जबकि आईफोन से राइड बुक करने पर यह महंगा हो जाता है। हालांकि, इन आरोपों पर Uber का कहना था कि किराया पिकअप प्वाइंट, ड्रॉप प्वाइंट, और ETA (Estimated Time of Arrival) जैसे कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है और इसी वजह से किराए में फर्क आता हैं।
Uber का स्पष्टीकरण
Uber ने अपनी सफाई में कहा था कि वह किसी राइडर के फोन के प्रकार या बैटरी के स्तर के आधार पर किराया निर्धारित नहीं करती। कंपनी का कहना है कि राइड का किराया हमेशा उसी लोकेशन, समय और यात्री के लिए समान नहीं हो सकता। यह रियल-टाइम डेटा और यात्रा के दौरान के विभिन्न फैक्टर्स पर निर्भर करता है, जैसे ट्रैफिक, रूट, और अन्य परिस्थितियाँ। कंपनी का दावा है कि उसका उद्देश्य सभी राइडर्स को समान और पारदर्शी सेवा प्रदान करना हैं।
यूजर्स का अनुभव और कंपनियों की नीतियाँ
इस पूरे घटनाक्रम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या Uber वास्तव में स्मार्टफोन के प्रकार और बैटरी लेवल के आधार पर किराया वसूलता है? क्या कंपनियों को अपनी नीतियों को अधिक पारदर्शी बनाना चाहिए ताकि यूजर्स को किसी प्रकार का शक न हो? इस मामले में Uber को अपनी किराया नीति पर पुनः विचार करना होगा, ताकि किसी भी प्रकार का भ्रम या विवाद न पैदा हो।
आने वाले समय में क्या होगा?
ऋषभ सिंह द्वारा किए गए इस एक्सपेरिमेंट ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या कंपनियां तकनीकी डेटा का इस्तेमाल कर यूजर्स को नुकसान पहुंचा सकती हैं? हालांकि, Uber का कहना है कि वह इस तरह की नीतियों का पालन नहीं करती, लेकिन यूजर्स के अनुभव से यह जरूर लगता है कि कुछ अंतर हो सकता है। अब यह देखना होगा कि क्या और अन्य यूजर्स ने भी इस प्रकार की समस्याओं का सामना किया है और क्या Uber अपने सिस्टम में कोई बदलाव करेगी?
इस एक्सपेरिमेंट से यह साबित होता है कि Uber की किराया नीति पर कुछ ऐसे पहलू हैं जो स्पष्ट नहीं हैं। चाहे वह स्मार्टफोन के प्रकार से संबंधित हो या बैटरी के स्तर के आधार पर, यह एक बड़ा सवाल बन गया है। हालांकि Uber का कहना है कि वह किराए में कोई भेदभाव नहीं करती, लेकिन यूजर्स का अनुभव कुछ और ही बताता है। अब यह देखना होगा कि कंपनी अपने सिस्टम में कोई सुधार करती है या यूजर्स को भविष्य में और अधिक इस तरह के अनुभवों का सामना करना पड़ेगा।
इस मामले ने Uber की किराया नीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या कंपनी अपनी नीतियों में कोई बदलाव करती है या फिर यह विवाद और बढ़ता हैं।