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Weekly Vrat Tyohar 14 to 20 April 2025: जानें कब है Vikat Sankashti Chaturthi और मासिक जन्माष्टमी

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Weekly Vrat Tyohar: 14 अप्रैल से 20 अप्रैल 2025 तक का साप्ताहिक व्रत-त्योहार (Weekly Vrat Tyohar) भारतीय पंचांग के अनुसार बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है। वैशाख माह का यह पहला सप्ताह धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पावन माना जा रहा है। इस सप्ताह Mesha Sankranti, Vikat Sankashti Chaturthi, Masik Krishna Janmashtami, और Kalashtami जैसे प्रमुख पर्व मनाए जाएंगे, जिनका विशेष महत्व सनातन धर्म में वर्णित है।

Mesha Sankranti 2025 – 14 अप्रैल

Mesha Sankranti सूर्य देव के राशि परिवर्तन पर आधारित पर्व है, जब सूर्य मीन से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करते हैं। इस बार यह संक्रांति 14 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। इसी दिन से हिंदू नवसंवत्सर के अनुसार सौर नववर्ष की शुरुआत भी होती है।

🔸 महत्व: इस दिन स्नान, दान, और सूर्य देव की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
🔸 Recommended Daan (दान): गेहूं, गुड़, तांबा, और लाल वस्त्र।

Vikat Sankashti Chaturthi – 16 अप्रैल 2025

Vikat Sankashti Chaturthi भगवान गणेश को समर्पित व्रत है जो संकटों को दूर करने वाला माना जाता है। वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि इस बार 16 अप्रैल को दोपहर 01:16 PM से शुरू होकर 17 अप्रैल को दोपहर 03:23 PM तक रहेगी।

🔸 उपवास विधि: उपवास रखकर रात को चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है।
🔸 पूजा का समय: चंद्रोदय के बाद गणपति आरती और मोदक अर्पण।

Masik Krishna Janmashtami & Kalashtami – 20 अप्रैल 2025

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर Masik Krishna Janmashtami और Kalashtami दोनों पर्व एक साथ पड़ रहे हैं।

🔹 अष्टमी तिथि प्रारंभ: 20 अप्रैल को शाम 07:00 PM
🔹 अष्टमी तिथि समाप्त: 21 अप्रैल को शाम 06:58 PM
🔸 Masik Janmashtami: इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की निशा काल में पूजा होती है। भक्तजन उपवास रखकर रात्रि जागरण करते हैं।
🔸 Kalashtami: काल भैरव की पूजा की जाती है। नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा और भय नाश के लिए विशेष रूप से पूजनीय।

वैशाख माह में करें इन विशेष मंत्रों का जाप

इस पवित्र माह में निम्न मंत्रों का जाप शुभ फलदायक माना गया है: 1.
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद्...
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।

वृंदा, वृन्दावनी, विश्वपुजिता...
य: पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।

ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्।
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलश हस्ताय धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्।

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