माँ कूष्माण्डा: नवरात्रि की चौथी देवी

माँ कूष्माण्डा: नवरात्रि की चौथी देवी
Last Updated: 27 सितंबर 2024

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की आराधना की जाती है। उनका नाम तीन शब्दों से मिलकर बना है – 'कु' जिसका अर्थ है "कुछ," 'ऊष्मा' जिसका अर्थ है "ताप" और 'अंडा' जिसका अर्थ है "ब्रह्मांड।" माँ कूष्माण्डा वह देवी हैं जिनकी मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड की सृष्टि हुई। उनकी ऊष्मा और ऊर्जा से सृष्टि का निर्माण हुआ, इसलिए वे "सृष्टि की आदिशक्ति" मानी जाती हैं।

स्वरूप और विशेषताएँ

माँ कूष्माण्डा का स्वरूप दिव्य और अलौकिक है। उनके शरीर की चमक सूर्य के समान तेजस्वी है। वे स्वयं सूर्य मंडल के भीतर निवास करती हैं और उनकी शक्ति इतनी प्रबल है कि सूर्य की तीव्रता भी उनके सामने क्षीण हो जाती है। माँ के इस रूप को "अष्टभुजा देवी" भी कहा जाता है, क्योंकि उनके आठ हाथ हैं।

सवारी: माँ कूष्माण्डा की सवारी शेरनी है, जो उनकी निर्भयता और शक्ति का प्रतीक है।

अत्र-शस्त्र: माँ के आठ हाथों में विभिन्न प्रकार के अत्र-शस्त्र हैं:

दाहिने हाथों में कमंडल, धनुष, बाड़ा, और कमल।

बाएं हाथों में अमृत कलश, जप माला, गदा और सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं।।

इन शस्त्रों और उपकरणों से माँ अपने भक्तों की रक्षा और कल्याण करती हैं।

मुद्रा: माँ कूष्माण्डा का चेहरा हल्की मुस्कान के साथ शांतिपूर्ण होता है, जो उनकी मातृवत प्रेम और करुणा को दर्शाता है।

ग्रह और प्रभाव

माँ कूष्माण्डा का संबंध सूर्य ग्रह से है। सूर्य को जीवन और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। माँ सूर्य के समान चमकती हैं और उनकी पूजा से जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और सकारात्मकता का संचार होता है। भक्तों का मानना है कि माँ कूष्माण्डा की कृपा से मानसिक और शारीरिक रोग दूर हो जाते हैं और जीवन में स्फूर्ति आती है।

पूजा विधि

चैत्र या अश्विन शुक्ल चतुर्थी को माँ कूष्माण्डा की विशेष पूजा की जाती है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और देवी की आराधना करते हैं। पूजा में माँ को फल, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। माँ कूष्माण्डा की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।

शुभ रंग: माँ कूष्माण्डा के दिन हरा रंग पहनना शुभ माना जाता है। हरा रंग संतुलन और उन्नति का प्रतीक है, और इसे धारण करने से माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

माँ कूष्माण्डा की उपासना का महत्व

माँ कूष्माण्डा की पूजा करने से सभी प्रकार की बीमारियों का नाश होता है और आयु, यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है। उनके आशीर्वाद से भक्तों को मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है।

कहा जाता है कि माँ कूष्माण्डा की आराधना से आध्यात्मिक विकास और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है। उनकी कृपा से भक्तों के जीवन में नई ऊँचाइयों और सफलताओं की प्राप्ति होती है।

समापन

माँ कूष्माण्डा, नवरात्रि की चौथी देवी, सृष्टि की रचयिता और जीवनदायिनी शक्ति हैं। उनकी उपासना से जीवन में नई रोशनी और आशा का संचार होता है।

नवरात्रि के इस पावन पर्व पर माँ कूष्माण्डा की पूजा करके हम अपने जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से परिपूर्ण कर सकते हैं। उनके आशीर्वाद से जीवन में हर प्रकार की बाधा और नकारात्मकता का अंत होता है।

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