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BMC Election 2025: उद्धव ठाकरे ने बढ़ाई नेताओं की धड़कनें, 70% नए चेहरे उतरेंगे मैदान में?

BMC Election 2025: उद्धव ठाकरे ने बढ़ाई नेताओं की धड़कनें, 70% नए चेहरे उतरेंगे मैदान में?

महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनावों के ऐलान से पहले उद्धव बालासाहेब ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी) ने एक बड़ा राजनीतिक कदम उठाया है। सूत्रों के अनुसार, उद्धव ठाकरे की पार्टी आगामी बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) चुनाव में उन पार्षदों को टिकट नहीं देने पर विचार कर रही है जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक है। 

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC Election 2025) को लेकर हलचल तेज़ हो गई है। शिवसेना (UBT) प्रमुख और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने आगामी बीएमसी चुनावों से पहले अपनी पार्टी में बड़ा फैसला लेने के संकेत दिए हैं, जिससे कई वरिष्ठ नेताओं की धड़कनें तेज हो गई हैं।

सूत्रों के अनुसार, उद्धव ठाकरे ने संकेत दिया है कि इस बार 60 वर्ष से अधिक उम्र के पार्षदों (Corporators) को पार्टी की तरफ से टिकट नहीं दिया जाएगा। इसके स्थान पर नए और युवा चेहरों को मौका देने की तैयारी है। अगर यह निर्णय लागू हुआ, तो शिवसेना (UBT) के लगभग 70 प्रतिशत उम्मीदवार नए चेहरे हो सकते हैं।

बीएमसी चुनाव से पहले शिवसेना (UBT) में मचा सियासी हलचल

बीएमसी चुनाव मुंबई की राजनीति का सबसे अहम चुनाव माना जाता है, क्योंकि मुंबई महानगरपालिका देश की सबसे अमीर स्थानीय निकाय संस्था है। पिछले कई दशकों से इस पर शिवसेना का वर्चस्व रहा है। हालांकि 2022 में पार्टी के विभाजन और एकनाथ शिंदे गुट के अलग हो जाने के बाद उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) के सामने अपनी पकड़ बनाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है।

ऐसे में उद्धव ठाकरे ने संगठन में नई जान फूंकने की रणनीति बनाई है। सूत्र बताते हैं कि ठाकरे इस बार “परफॉर्मेंस और पब्लिक कनेक्ट” को टिकट देने का आधार बनाना चाहते हैं। इस नीति के तहत वरिष्ठ पार्षदों को हटाकर युवा, शिक्षित और जमीनी स्तर पर सक्रिय कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारने की योजना बनाई जा रही है।

60 पार नेताओं की टिकट पर संकट

रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिवसेना (UBT) ने अपने स्थानीय स्तर पर सभी वार्डों के पार्षदों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट मांगी है। इसमें उनकी जनसंपर्क क्षमता, क्षेत्र में उपस्थिति और कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों का मूल्यांकन किया जा रहा है। अगर उद्धव ठाकरे की यह रणनीति लागू होती है, तो पार्टी के कई वरिष्ठ और पुराने चेहरे इस बार चुनावी दौड़ से बाहर हो सकते हैं।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह फैसला उद्धव की शिवसेना में असंतोष की लहर पैदा कर सकता है। नाराज पार्षद शिंदे गुट या अन्य पार्टियों का रुख कर सकते हैं, जिससे उद्धव के लिए स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की रणनीतिक बैठकें

इस बीच, सूत्रों का कहना है कि उद्धव ठाकरे की पार्टी और राज ठाकरे (Raj Thackeray) की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के बीच कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग और गठबंधन की संभावनाओं पर विचार हुआ है। हालांकि, अभी तक औपचारिक गठबंधन की घोषणा नहीं हुई है। लेकिन अंदरखाने चर्चाएं हैं कि बीएमसी चुनाव में दोनों ठाकरे भाइयों की पार्टियां “ठाकरे ब्रांड ऑफ पॉलिटिक्स” को पुनर्जीवित करने के लिए मिलकर काम कर सकती हैं।

2017 के बीएमसी चुनाव में शिवसेना ने 84 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी ने 82 सीटें हासिल की थीं। लेकिन पार्टी के विभाजन के बाद कई पार्षद शिंदे गुट में चले गए। इस बार उद्धव की शिवसेना उन सीटों पर नए उम्मीदवारों को उतारकर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है।

 

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