हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन अत्यंत शुभ और विशेष माना गया है, खासतौर पर मां लक्ष्मी की आराधना के लिए। यह दिन धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस दिन विधिवत पूजा करते हैं और श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करते हैं, उन्हें न केवल आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है, बल्कि घर में सुख-शांति और वैभव का वास भी होता है।
शास्त्रों में उल्लेख है कि मां लक्ष्मी को शुक्रवार के दिन सफेद वस्तुएं जैसे खीर, चावल, शंख, सफेद फूल आदि अर्पित करने से वे अति प्रसन्न होती हैं। खासतौर पर यदि व्यक्ति शुक्रवार को उपवास रखकर मां लक्ष्मी की पूजा करे और अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करे, तो जीवन में धन की कमी नहीं रहती।
श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का महत्व
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र में मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी और धैर्य लक्ष्मी – का वर्णन किया गया है। इन आठों स्वरूपों की आराधना से न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि मानसिक शांति और पारिवारिक समृद्धि भी बढ़ती है।
शुक्रवार को करें ये कार्य
सुबह स्नान कर सफेद वस्त्र पहनें
मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और पुष्प अर्पित करें
खीर या बताशे का भोग लगाएं
श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ श्रद्धा भाव से करें
गरीबों को भोजन या वस्त्र दान करें
श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र (Sri Ashtalakshmi Stotram)
1. आदि लक्ष्मी
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि चंद्र सहोदरि हेममये ।
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनी मंजुल भाषिणि वेदनुते ।
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित सद-गुण वर्षिणि शान्तिनुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि परिपालय माम् ।
2. धान्य लक्ष्मी
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये ।
क्षीर समुद्भव मङ्गल रुपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदनकामिनि धान्यलक्ष्मि परिपालय माम् ।
3. धैर्य लक्ष्मी
जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि मन्त्र स्वरुपिणि मन्त्रमये ।
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते ।
भवभयहारिणि पापविमोचनि साधु जनाश्रित पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदापालय माम् ।
4. गज लक्ष्मी
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये ।
रधगज तुरगपदाति समावृत परिजन मंडित लोकनुते ।
हरिहर ब्रम्ह सुपूजित सेवित ताप निवारिणि पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ।
5. सन्तान लक्ष्मी
अयि खगवाहिनी मोहिनि चक्रिणि रागविवर्धिनि ज्ञानमये ।
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि सप्तस्वर भूषित गाननुते ।
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर मानव वन्दित पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि सन्तानलक्ष्मि परिपालय माम् ।
6. विजय लक्ष्मी
जय कमलासनि सद-गति दायिनि ज्ञानविकासिनि गानमये ।
अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर भूषित वसित वाद्यनुते ।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित शङ्करदेशिक मान्यपदे ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि विजयक्ष्मि परिपालय माम् ।
7. विद्या लक्ष्मी
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि शोकविनाशिनि रत्नमये ।
मणिमय भूषित कर्णविभूषण शान्ति समावृत हास्यमुखे ।
नवनिद्धिदायिनी कलिमलहारिणि कामित फलप्रद हस्तयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम् ।
8. धन लक्ष्मी
धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि-दिन्धिमी दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये ।
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम शङ्ख निनाद सुवाद्यनुते ।
वेद पुराणेतिहास सुपूजित वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते ।
जय जय हे कामिनि धनलक्ष्मी रूपेण पालय माम् ।
अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विष्णुवक्षःस्थलारूढे भक्तमोक्षप्रदायिनी ।।
शङ्ख चक्र गदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः ।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलम शुभ मङ्गलम ।
इति श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम सम्पूर्णम ।
सकारात्मक परिणाम और अनुभव
धार्मिक विद्वानों के अनुसार, जो व्यक्ति नियमित रूप से शुक्रवार को यह उपाय करता है, उसके जीवन में वित्तीय स्थिरता आती है। साथ ही, पारिवारिक कलह भी दूर होता है और घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है। विशेष रूप से नौकरी, व्यवसाय या निवेश से जुड़े लोगों को यह उपाय अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है।