हाल के शोधों में मंगल ग्रह के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र की गहन जांच से पता चला है कि ग्रह की सतह के नीचे विशाल और छिपी हुई संरचनाएं मौजूद हो सकती हैं, जो यह संकेत देती हैं कि यहां एक प्राचीन महासागर बहा करता था। वैज्ञानिकों ने मंगल के गुरुत्वाकर्षण डेटा का अध्ययन करते हुए ग्रह की परतों में असामान्य घनत्व वाले क्षेत्रों का पता लगाया है। ये संकेत उस समय की ओर इशारा कर सकते हैं जब मंगल पर तरल जल था और संभावित रूप से एक महासागर मौजूद था।
इतिहास: मंगल ग्रह के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र पर हाल के शोध ने इस ग्रह के भूगर्भीय इतिहास के कई रहस्यों को उजागर किया है। साइंस अलर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने विभिन्न अंतरिक्ष अभियानों और उन्नत मॉडलिंग के डेटा का उपयोग करके मंगल की सतह के नीचे विशाल, छिपी हुई संरचनाओं का पता लगाया है, जिन क्षेत्रों में कभी एक प्राचीन महासागर बहा करता था। इस शोध से यह भी पता चला है कि मंगल ग्रह के मेंटल (अंदर की परत) में सक्रिय प्रक्रियाएं हो रही हैं, जो सौर मंडल के सबसे बड़े ज्वालामुखी, ओलंपस मॉन्स के विकास में योगदान दे सकती हैं।
यह निष्कर्ष महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे यह संकेत मिलता है कि मंगल की भूगर्भीय गतिविधियां पहले की तुलना में अधिक जटिल और सक्रिय हो सकती हैं। ये खोजें मंगल पर जल और ज्वालामुखीय गतिविधियों के बीच संभावित संबंध को दर्शाती हैं, जो ग्रह के विकास और संभावित जीवन के लिए अनुकूल स्थितियों की खोज में अहम साबित हो सकती हैं।
मंगल ग्रह में छुपे कई रहस्य
डेल्फ़्ट यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी (टीयू डेल्फ़्ट) के वैज्ञानिक बार्ट रूट ने बर्लिन में यूरोपैनेट साइंस कांग्रेस (ईपीएससी) में मंगल ग्रह के इंटीरियर से जुड़े कुछ नए और आकर्षक रहस्यों को प्रस्तुत किया। उनके शोध में मंगल की सतह के नीचे छिपी हुई विशाल संरचनाओं का खुलासा हुआ, जो इस लाल ग्रह के भूगर्भीय इतिहास के बारे में नई जानकारी प्रदान करती हैं। डॉ. रूट ने बताया कि ये घनी संरचनाएं या तो प्राचीन ज्वालामुखी गतिविधियों का परिणाम हो सकती हैं या प्राचीन समय में हुए किसी प्रभाव से संकुचित सामग्री हो सकती हैं। उन्होंने विशेष रूप से उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में लगभग 20 रहस्यमयी विशेषताओं की पहचान की, जिनमें से एक की आकृति कुत्ते के आकार से मिलती-जुलती है। यह खोज मंगल के भूगर्भीय इतिहास को और गहराई से समझने में मदद करती हैं।
रूट और उनकी टीम ने मंगल के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र का अध्ययन करने के लिए एक नई पद्धति का उपयोग किया, जिससे ग्रह के आंतरिक द्रव्यमान का विश्लेषण किया जा सके। इससे पता चला कि उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र का घनत्व अन्य क्षेत्रों की तुलना में 300-400 किग्रा/वर्ग मीटर अधिक है। इसके अलावा, उन्होंने ओलंपस मॉन्स, जो कि सौर मंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है, के बारे में नई जानकारी उजागर की। उनकी टीम ने सतह से लगभग 1,100 किलोमीटर नीचे एक विशाल, हल्की संरचना की खोज की, जो लगभग 1,750 किलोमीटर चौड़ी है और थारिस क्षेत्र के ऊपर उठने का कारण बन रही है। यह खोज मंगल के आंतरिक संरचना और भूगर्भीय गतिविधियों के बारे में नई अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जो ग्रह की सतह पर बड़े बदलावों का कारण हो सकती हैं।
मंगल पर कभी ज्वालामुखी भी थी सक्रिय - वैज्ञानिक
नासा के इनसाइट मिशन ने मंगल की कठोर बाहरी परत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी उजागर की है, जो ग्रह की भूगर्भीय गतिविधियों पर नई रोशनी डालती है। डॉ. बार्ट रूट ने इस डेटा के आधार पर बताया कि मंगल का आंतरिक भाग अभी भी सक्रिय हो सकता है, और ये गतिविधियां सतह पर नई ज्वालामुखीय संरचनाओं के निर्माण को प्रेरित कर सकती हैं।
हालांकि वर्तमान में मंगल ग्रह पर कोई सक्रिय ज्वालामुखी नहीं हैं, लेकिन इस नई खोज से यह संकेत मिलता है कि मंगल पहले की तुलना में हाल ही में ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय रहा हो सकता है। इनसाइट मिशन द्वारा एकत्र किए गए डेटा से यह संभावना बढ़ जाती है कि ग्रह की आंतरिक प्रक्रियाएं सतह पर महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकती हैं, जिससे मंगल के भूगर्भीय इतिहास के बारे में हमारी समझ और भी समृद्ध हो रही हैं।