भारत में नवीकरणीय ऊर्जा में क्रांति: 10 वर्षों में 175 प्रतिशत वृद्धि, केंद्रीय मंत्री का बड़ा दावा

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा में क्रांति: 10 वर्षों में 175 प्रतिशत वृद्धि, केंद्रीय मंत्री का बड़ा दावा
Last Updated: 3 घंटा पहले

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने जर्मनी में हैम्बर्ग सस्टेनेबिलिटी कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भारत की नवीकरणीय ऊर्जा में हुई वृद्धि के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2014 के बाद से देश में रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता में 175% की वृद्धि हुई है। 2014 में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 75 गीगावॉट थी, जो अब बढ़कर 208 गीगावॉट से अधिक हो गई है।

नई दिल्ली: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भारत की रिन्यूएबल एनर्जी में वृद्धि के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने सोमवार को जर्मनी में हैम्बर्ग सस्टेनेबिलिटी कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।

जोशी ने कहा कि "जी20 देशों में भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन सबसे कम है, और यह एकमात्र जी20 देश है जिसने अपने जलवायु लक्ष्यों को निर्धारित समय से पहले पूरा किया है।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऊर्जा सुरक्षा और पहुंच भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इससे राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर ऊर्जा परिवर्तन की प्रतिबद्धता में कोई बाधा नहीं आई है।

भारत की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता में वृद्धि और जलवायु लक्ष्यों की पूर्ति के संदर्भ में जोशी के इस बयान का महत्व है, क्योंकि यह भारत की स्थायी ऊर्जा विकास के प्रति गंभीरता को दर्शाता है।

75 गीगावॉट से 208 गीगावॉट तक का सफर

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि भारत ने 2014 के बाद से अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि की है, जो 75 गीगावॉट से बढ़कर अब 208 गीगावॉट से अधिक हो गई है। इस अवधि में कुल नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन (आरई) 193.5 बिलियन यूनिट से बढ़कर 360 बिलियन यूनिट हो गया, जो 86% की वृद्धि को दर्शाता है।

जोशी ने उल्लेख किया कि पिछले 10 वर्षों में सौर ऊर्जा की क्षमता 33 गुना बढ़ गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 100 से अधिक देशों द्वारा समर्थित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) भारत के नेतृत्व को प्रदर्शित करता है, जो सौर ऊर्जा के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

भारत की हरित शिपिंग क्षेत्र में प्रगति

ग्रीन शिपिंग पर चर्चा करते हुए, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने समुद्री क्षेत्र की वैश्विक व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर इसके प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "जैसे-जैसे हम शुद्ध-शून्य उत्सर्जन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, समुद्री परिवहन की आवश्यकता और भी महत्वपूर्ण हो गई है।"

जोशी ने उल्लेख किया कि भारत सरकारी पहलों, तकनीकी प्रगति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से हरित शिपिंग क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है, जो पर्यावरण संरक्षण और स्थायी विकास के लिए आवश्यक है।

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