आधिकारिक तौर पर INS Aright के शामिल होने के बाद भारत के पास दो एसएसबीएन (स्ट्रैटेजिक सबमरीन बैलिस्टिक न्यूक्लियर) पनडुब्बियाँ होंगी। इससे पहले, 2016 में स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी 'आईएनएस अरिहंत' को नौसेना में शामिल किया गया था।
नई दिल्ली: भारतीय नौसेना को नई शक्ति प्रदान करने और इसकी मारक क्षमता को और बढ़ाने के लिए देश की दूसरी न्यूक्लियर पनडुब्बी 'INS अरिघात' पूरी तरह से तैयार है। INS अरिघात, जिसे S-3 के नाम से भी जाना जाता है, को आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा भारतीय नौसेना को सौंपा जाएगा। यह पनडुब्बी 2017 में लॉन्च की गई थी और तब से इसकी परीक्षण प्रक्रिया जारी थी। अब इसे औपचारिक रूप से कमीशन किया जाएगा।
बता दें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस पनडुब्बी को विशाखापत्तनम में नौसेना को सौंपेंगे। इस कार्यक्रम में नौसेना के प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी, भारतीय स्ट्रेटेजिक कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल सूरज बेरी और DRDO के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे। आधिकारिक रूप से इसके शामिल होने के बाद भारत के पास दो एसएसबीएन न्यूक्लियर सबमरीन हो जाएंगी। इससे पहले, वर्ष 2016 में स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी ‘आईएनएस अरिहंत’ को जंगी बेड़े में शामिल किया गया था।
क्या है 'INS अरिघात' की खासियत?
अरिघात शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है "दुश्मनों का संहार करने वाला।" भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी को विशाखापट्टनम स्थित शिपयार्ड में बनाया गया है। अरिहंत पनडुब्बी समुद्र से 750 किलोमीटर दूर तक मार करने वाली, के-15 बैलिस्टिक मिसाइल (न्यूक्लियर) से सुसज्जित है। इसके अलावा, भारतीय नौसेना की यह अत्याधुनिक पनडुब्बी 4000 किलोमीटर तक मार करने वाली 'के-4 मिसाइल' से भी लैस की जाएगी।
इस परमाणु पनडुब्बी का भार लगभग छह हजार टन है। अरिघात की लंबाई लगभग 110 मीटर और चौड़ाई 11 मीटर है। आईएनएस 'अरिघात' स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड का एक अभिन्न हिस्सा बनेगी, और इसकी रणनीतिक महत्वता के कारण नौसेना द्वारा इस परमाणु पनडुब्बी की कमीशनिंग के संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई हैं।
एडवांस तकनीक पर आधारित है अरिघात पनडुब्बी
रक्षा सूत्रों के अनुसार देश की दूसरी परमाणु पनडुब्बी ‘आईएनएस अरिघात’ अब भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है। यह पनडुब्बी भारत की दूसरी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी है, लेकिन 'अरिघात' अपने वर्ग की पहली पनडुब्बी 'अरिहंत' की तुलना में कई मामलों में अधिक उन्नत है। इसके साथ ही, भारतीय सेना की तीसरी परमाणु पनडुब्बी ‘आईएनएस अरिदमन’ का निर्माण भी जारी है। इसके निर्मित होने के बाद, भारत के जंगी बेड़े में 16 डीजल (एसएसके) पारंपरिक पनडुब्बियाँ होंगी और तीन परमाणु पनडुब्बियाँ (एसएसबीएन) भी भारत के पास होंगी।
यह ध्यान देने योग्य है कि भारत के पास एसएसएन यानी न्यूक्लियर पावर पनडुब्बी की 10 साल की लीज समाप्त होने के बाद, वर्ष 2022 में इसे रूस वापस भेज दिया गया था। वर्ष 2004 में, भारत ने चार एसएसबीएन (‘शिप, सबर्मसिबल, बैलिस्टिक, न्यूक्लियर’) पनडुब्बियाँ बनाने के लिए एडवांसड टेक्नोलॉजी वेसेल (एटीवी) परियोजना का शुभारंभ किया था। इस प्रोजेक्ट के तहत एक चौथी पनडुब्बी (कोड नेम एस-4) भी निर्माणाधीन हैं।