भारत और पाकिस्तान के बीच साइबर स्पेस में चल रहा एक नया ‘डिजिटल युद्ध’ अब खुलकर सामने आ रहा है। इस संघर्ष को भारतीय हैकरों ने 'ऑपरेशन साइबरशक्ति' नाम दिया है, और इसका मकसद है – पाकिस्तान की अहम सरकारी वेबसाइट्स को निशाना बनाना।
टेक: हाल ही में भारत की एक बड़ी टेक रिपोर्टिंग साइट डिजिट ने इस पर खुलासा किया है कि ‘विजिलांटे’ यानी स्वेच्छा से देश के लिए डिजिटल कार्य करने वाले भारतीय हैकर्स ने पाकिस्तान की कई अहम वेबसाइट्स को ठप कर दिया है। इन हमलों का दावा करने वाले ग्रुप्स का कहना है कि यह जंग अब बंदूकों से नहीं, बल्कि कंप्यूटर कोड्स और डिजिटल हथियारों से लड़ी जा रही है।
Operation Cybershakti क्या है?
ऑपरेशन साइबरशक्ति’ एक मिशन है जिसे भारत के कुछ स्वतंत्र साइबर विशेषज्ञों और हैकरों ने शुरू किया। इसका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान की साइबर इन्फ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाना और उसकी डिजिटल कमजोरियों को उजागर करना है। यह ऑपरेशन भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद शुरू हुआ था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मिशन में पाकिस्तान की कई महत्वपूर्ण सरकारी और रक्षा वेबसाइट्स को निशाना बनाया गया। इन साइबर हमलों का मकसद पाकिस्तान के डिजिटल सिस्टम को कमजोर करना और उसकी ऑनलाइन सुरक्षा को चुनौती देना था। इस प्रकार के डिजिटल हमले बिना किसी सरकारी समर्थन के किए गए थे, जो एक नया और छिपा हुआ युद्ध रूप है।
कौन हैं ये हैकर्स?
इन हैकर्स को 'विजिलांटे हैकर्स' कहा जाता है, जो किसी सरकारी संगठन से जुड़े नहीं होते, बल्कि स्वतंत्र साइबर विशेषज्ञ होते हैं। इन ग्रुप्स के सदस्य आमतौर पर युवा होते हैं, जिनके पास टेक्नोलॉजी, कोडिंग, नेटवर्किंग और साइबर सुरक्षा में गहरी समझ होती है। इनका उद्देश्य राष्ट्रहित में डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करना और ऑनलाइन हमलों का जवाब देना होता है। ये हैकर्स भारतीय सरकार से औपचारिक रूप से नहीं जुड़े होते, लेकिन उनका लक्ष्य देश की रक्षा के लिए साइबर स्पेस में काम करना होता है।
किस तरह के साइबर अटैक किए गए?
‘ऑपरेशन साइबरशक्ति’ के तहत निम्नलिखित साइबर अटैक सामने आए हैं:
- Website Defacement: हैकर्स ने कई पाकिस्तानी वेबसाइट्स के होमपेज बदल दिए और वहां भारत समर्थक मैसेज दिखाए।
- Phishing Attacks: यूजर्स की जानकारी चुराने वाले फर्जी लॉगिन पेज बनाकर संवेदनशील डेटा की चोरी की गई।
- DDoS Attacks: कुछ वेबसाइट्स को ट्रैफिक बम से उड़ा दिया गया, जिससे वे डाउन हो गईं।
- Database Leaks: कुछ जगहों पर सरकारी डेटाबेस की फाइल्स लीक की गईं, जो सोशल मीडिया पर भी शेयर हुईं।
क्या कहता है साइबर एक्सपर्ट कम्युनिटी?
साइबर एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसे विजिलांटे साइबर ऑपरेशन्स दोधारी तलवार जैसे होते हैं। एक तरफ, ये ऑपरेशन्स तत्काल प्रतिक्रिया देने का एक तरीका बनते हैं, जो किसी संकट के समय फायदेमंद हो सकता है। दूसरी ओर, इनसे अंतरराष्ट्रीय साइबर कानूनों का उल्लंघन भी हो सकता है, क्योंकि साइबर अटैक किसी भी देश की सुरक्षा और नियमों को प्रभावित कर सकते हैं।
इसके बावजूद, जब तक ये ऑपरेशन किसी सरकारी समर्थन या आदेश से नहीं किए जाते, इन्हें "गैर-राजनीतिक डिजिटल एक्टिविज्म" के रूप में देखा जा सकता है। यानी, ये आंदोलन किसी खास राजनीतिक उद्देश्य को न बढ़ावा देकर, बस डिजिटल दुनिया में नागरिक अधिकारों या देशों की सुरक्षा की भावना से किए जा रहे होते हैं।
क्या है इसका बड़ा असर?
ऑपरेशन साइबरशक्ति का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान की साइबर सुरक्षा को कमजोर करना और उसकी डिजिटल कमजोरियों को उजागर करना है। इससे पाकिस्तान की ऑनलाइन सुरक्षा पर सवाल उठ सकते हैं और उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, भारत में भी डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है। लोग अब ऑनलाइन सुरक्षा के महत्व को समझने लगे हैं और साइबर हमलों से बचने के लिए सतर्क रहने लगे हैं। इस ऑपरेशन ने भारतीय टेक कम्युनिटी में भी एक नई चेतना पैदा की है।
क्या भारत सरकार की इसमें भूमिका है?
अब तक जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार ऑपरेशन साइबरशक्ति किसी सरकारी एजेंसी या विभाग द्वारा नहीं चलाया जा रहा है। यह एक स्वतंत्र डिजिटल मुहिम है, जिसे कुछ भारतीय हैकर्स या तकनीकी विशेषज्ञों ने शुरू किया है। भारत सरकार ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है, और न ही इस पर कोई टिप्पणी की है।
ऑपरेशन साइबरशक्ति भारतीय हैकर्स द्वारा पाकिस्तान की सरकारी वेबसाइट्स पर किए गए साइबर हमले का नाम है। इसका उद्देश्य पाकिस्तान की साइबर सुरक्षा को कमजोर करना है। यह स्वतंत्र हैकर्स की पहल है, जिसमें भारतीय सरकार का कोई औपचारिक समर्थन नहीं है।