पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है जो टैक्स बचत के साथ-साथ आकर्षक रिटर्न प्रदान करता है। हालांकि, कई लोग इसके कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों से अनजान होते हैं। इस लेख में, हम आपको PPF से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बताएंगे, जो आपके निवेश निर्णय को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
नई दिल्ली: आज के समय में बचत के साथ-साथ निवेश करना अत्यंत आवश्यक हो गया है। निवेश के लिए मार्केट में कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) एक बेहद लोकप्रिय स्कीम है। इस स्कीम के माध्यम से कई निवेशक एक बड़ा फंड जमा करते हैं। यह एक टैक्स सेविंग स्कीम है, जिसका लाभ उठाने के लिए निवेशक इसे अपनाते हैं।
PPF को EEE कैटेगरी में रखा गया है, जिसका अर्थ है कि इसमें आप निवेश, ब्याज और मैच्योरिटी—तीनों स्तरों पर टैक्स बचत कर सकते हैं। जबकि निवेशक इस स्कीम के फायदों के बारे में जानते हैं, लेकिन कई महत्वपूर्ण तथ्यों से भी अनजान होते हैं। इस लेख में हम आपको PPF से जुड़े कुछ खास तथ्यों के बारे में जानकारी देंगे।
क्या पीपीएफ में ज्वाइंट अकाउंट खोल सकते हैं?
पीपीएफ में ज्वाइंट अकाउंट खोलने का विकल्प उपलब्ध नहीं है। इस स्कीम में एकल खाते का प्रावधान होता है। हालांकि, नॉमिनी रखना अनिवार्य है, लेकिन यह केवल एक व्यक्ति के लिए होता है। यदि पीपीएफ खाता धारक की मृत्यु हो जाती है, तो नॉमिनी को उस खाते की राशि प्राप्त होती है। इस तरह, पीपीएफ एक व्यक्तिगत बचत और निवेश योजना है, जो हर किसी के लिए अलग-अलग होती है।
एक से अधिक पीपीएफ अकाउंट नहीं खुल सकते
पीपीएफ स्कीम में एक से अधिक अकाउंट खोलने की अनुमति नहीं होती। यदि गलती से आपने दो अकाउंट खोल लिए हैं, तो दूसरा अकाउंट वैध नहीं माना जाएगा। ऐसे में, आपको भविष्य की किसी भी परेशानी से बचने के लिए दोनों अकाउंट को मर्ज करवाना होगा। जब तक आप अकाउंट को मर्ज नहीं करते, तब तक आपको ब्याज का लाभ नहीं मिलेगा।
स्थिर ब्याज दर के साथ निवेश
पीपीएफ स्कीम में निवेश पर मिलने वाला ब्याज स्थिर रहता है। वर्तमान में, जनवरी-मार्च 2020 से ब्याज दर 7.1 फीसदी पर अपरिवर्तित है। हालाँकि, बाजार में ऐसी कई निवेश योजनाएँ हैं जो इससे अधिक ब्याज प्रदान करती हैं। ऐसे में, निवेशकों को अपनी वित्तीय रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ सकता है।
पीपीएफ में निवेश की सीमा
पीपीएफ में सालाना निवेश की अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है। यदि आप इस राशि से अधिक निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको किसी अन्य निवेश विकल्प पर विचार करना चाहिए। यह सीमा आपके टैक्स लाभ को भी प्रभावित करती है, इसलिए निवेश करते समय इसे ध्यान में रखना आवश्यक है।