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RBI बढ़ाएगा विदेशी निवेश सीमा, लिस्टेड कंपनियों में 10% तक निवेश की अनुमति

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RBI लिस्टेड कंपनियों में विदेशी व्यक्तिगत निवेश की सीमा 10% तक बढ़ाने की योजना बना रहा है। सरकार और RBI इसके पक्ष में हैं, लेकिन SEBI ने निगरानी संबंधी चुनौतियों पर चिंता जताई है।

RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) लिस्टेड कंपनियों में व्यक्तिगत विदेशी निवेशकों की निवेश सीमा को 5% से बढ़ाकर 10% करने की योजना बना रहा है। इस कदम का उद्देश्य विदेशी पूंजी प्रवाह को बढ़ावा देना है। यह जानकारी रायटर द्वारा समीक्षा किए गए दस्तावेजों और दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के हवाले से सामने आई है।

विदेशी निवेश पर दबाव और भारत की रणनीति

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) कमजोर आय, उच्च वैल्यूएशन और अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव के कारण भारतीय शेयर बाजार से 28 अरब डॉलर से अधिक की निकासी कर चुके हैं। इसे देखते हुए सरकार और RBI विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए नए सुधारों पर काम कर रहे हैं।

प्रवासी भारतीयों तक सीमित लाभों का विस्तार

अधिकारियों के अनुसार, सरकार उन लाभों को सभी विदेशी निवेशकों तक विस्तारित कर रही है, जो अब तक केवल प्रवासी भारतीयों तक सीमित थे। इसके तहत विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत प्रवासी भारतीयों को दी जाने वाली अधिकतम 5% निवेश सीमा को बढ़ाकर सभी व्यक्तिगत विदेशी निवेशकों के लिए 10% किया जाएगा।

RBI का प्रस्ताव और सरकार की सहमति

RBI ने हाल ही में सरकार को एक पत्र में सुझाव दिया कि इन प्रस्तावों को जल्द से जल्द लागू किया जा सकता है। यह कदम एक्सटर्नल सेक्टर में हाल के घटनाक्रमों और कैपिटल इनफ्लो में आई रुकावट को ध्यान में रखते हुए लिया जा रहा है। वित्त मंत्रालय, RBI और सेबी से इस विषय पर प्रतिक्रिया मांगी गई, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।

संयुक्त होल्डिंग सीमा भी होगी दोगुनी

सरकार की योजना के अनुसार, किसी भी भारतीय लिस्टेड कंपनी में सभी व्यक्तिगत विदेशी निवेशकों के लिए संयुक्त होल्डिंग सीमा को भी मौजूदा 10% से बढ़ाकर 24% किया जाएगा। यह प्रस्ताव सरकार, RBI और सेबी के बीच चर्चा के अंतिम चरण में है।

निगरानी को लेकर SEBI की चिंता

हालांकि सरकार और RBI इस कदम के समर्थन में हैं, लेकिन बाजार नियामक सेबी ने कुछ चुनौतियों की ओर इशारा किया है। सेबी ने चेतावनी दी है कि सहयोगियों के साथ मिलकर किसी विदेशी निवेशक की होल्डिंग 34% से अधिक हो सकती है, जिससे अधिग्रहण के नियम लागू हो सकते हैं।

भारतीय नियमों के अनुसार, यदि कोई निवेशक किसी कंपनी में 25% से अधिक हिस्सेदारी खरीदता है, तो उसे खुदरा निवेशकों के पास मौजूद शेयरों के लिए खुली पेशकश करनी होगी। सेबी ने पिछले महीने RBI को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि प्रभावी निगरानी के बिना ऐसे अधिग्रहणों का पता नहीं लगाया जा सकता।

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