Tata Sons IPO: टाटा संस तोड़ सकती है हुंडई का रिकॉर्ड, जल्द लाएगी देश का सबसे बड़ा IPO

Tata Sons IPO: टाटा संस तोड़ सकती है हुंडई का रिकॉर्ड, जल्द लाएगी देश का सबसे बड़ा IPO
Last Updated: 5 घंटा पहले

टाटा संस का आईपीओ (Tata Sons IPO) लाने की संभावनाएँ बढ़ गई हैं। पहले टाटा ग्रुप का इरादा टाटा संस को सूचीबद्ध करने का नहीं था और उसने बैंकिंग नियामक आरबीआई से छूट की भी मांग की थी। हालांकि, आरबीआई ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। अब, आरबीआई के नियमों के अनुसार, टाटा संस को नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) के रूप में सितंबर 2025 तक अपना आईपीओ लाने की आवश्यकता होगी।

New Delhi: हुंडई मोटर इंडिया का आईपीओ वर्तमान में देश का सबसे बड़ा आईपीओ है। इसकी शेयर बाजार में लिस्टिंग अपेक्षाकृत कमजोर रही। हालांकि, एक और आईपीओ है जो हुंडई के रिकॉर्ड को तोड़ सकता है और निवेशकों को भारी लिस्टिंग लाभ भी प्रदान कर सकता है, और वह है टाटा टंस।

वास्तव में, टाटा ग्रुप का उद्देश्य अपनी प्रमुख कंपनी टाटा संस को शेयर बाजार में लिस्ट करना नहीं था। इस संबंध में उसने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से छूट भी मांगी थी। केंद्रीय बैंक ने टाटा संस को अपर लेयर एनबीएफसी (Upper Layer NBFC) के रूप में वर्गीकृत किया है।

टाटा संस को नहीं छूट

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का मानना है कि अपर लेयर की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के संचालन में वित्तीय पारदर्शिता अनिवार्य होनी चाहिए। इसी कारण से, आरबीआई ने सभी एनबीएफसी के लिए यह नियम बनाया है कि उन्हें सितंबर 2025 तक शेयर बाजार में लिस्ट होना होगा। हालांकि, टाटा संस ने शेयर बाजार में लिस्ट होने के इच्छुक नहीं होने की बात कही थी और इस संबंध में उन्होंने बैंकिंग नियामक से छूट मांगी थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने टाटा संस को किसी भी प्रकार की छूट देने से इनकार कर दिया है। इसका अर्थ यह है कि टाटा संस को सितंबर 2025 तक अपना आईपीओ लाकर शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना होगा। हालांकि, इस मामले में टाटा ग्रुप की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि उनका अगला कदम क्या होगा।

क्या टाटा संस लिस्टिंग से बच सकती है?

यदि टाटा संस अभी भी आईपीओ लाने और शेयर बाजार में लिस्टिंग से बचना चाहती है, तो उसे अपने कर्ज को कम करना होगा। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, टाटा संस की बैलेंस शीट में लगभग 20,270 करोड़ रुपये का कर्ज था। यदि वह अपने कर्ज को 100 करोड़ रुपये से नीचे लाने में सफल हो जाती है, तो वह आरबीआई की अपर-लेयर NBFC श्रेणी से बाहर जा सकती है।

अगर टाटा संस यह कर लेती है, तो उसे आईपीओ लाने या शेयर बाजार में लिस्ट होने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसके अलावा, वह अपने कर्ज को चुकाने या टाटा कैपिटल में अपनी हिस्सेदारी किसी अन्य संस्था को हस्तांतरित करने पर भी विचार कर रही है। इस प्रकार, टाटा संस कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (CIC) और अपर-लेयर NBFC के रूप में डी-रजिस्टर करने में सक्षम हो सकती है।

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