2025 में डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति: जानें मजबूत होगा या और कमजोर पड़ेगा?

2025 में डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति: जानें मजबूत होगा या और कमजोर पड़ेगा?
Last Updated: 20 घंटा पहले

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापारिक नीतियां और देश में बढ़ती महंगाई के बीच जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट, भारतीय रुपया पर और दबाव डाल सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन कारकों के कारण रुपये की स्थिति और कमजोर हो सकती है, जिससे डॉलर के मुकाबले रुपये में और गिरावट की संभावना जताई जा रही है। 

2025 में क्या होगा असर?

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की जीत के बाद भारतीय रुपये (Rupee) पर दबाव बढ़ गया है। 2 दिसंबर को रुपया डॉलर (Dollar) के मुकाबले 84.76 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) में आई मजबूती और ट्रंप की संभावित नीतियों के चलते वैश्विक मुद्रा बाजार में अन्य करेंसीज के साथ-साथ भारतीय रुपये पर भी प्रभाव देखने को मिल रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि जनवरी 2025 में ट्रंप के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद डॉलर के और मजबूत होने की संभावना है। ट्रंप प्रशासन द्वारा आयात पर 10% से अधिक टैरिफ लगाए जाने की संभावना है, जिससे विदेशी वस्तुएं महंगी हो सकती हैं और अमेरिकी सेंट्रल बैंक, फेडरल रिजर्व (Federal Reserve), को ब्याज दरें ऊंची बनाए रखनी पड़ सकती हैं। इसका सीधा प्रभाव भारतीय रुपये पर पड़ सकता है, जिससे इसमें और कमजोरी आ सकती है।

अब सवाल यह है कि 2025 में रुपये की स्थिति कैसी रहेगी? क्या यह स्तर और नीचे जाएगा या सुधार की उम्मीद की जा सकती है? यह बदलाव न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर बल्कि आम आदमी और देश की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से गिरावट की ओर बढ़ सकता है रुपया!

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी कड़े व्यापारिक नीतियों (Trade Policies) से रुपये (Rupee) पर अतिरिक्त दबाव पड़ने की संभावना जताई जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन आयातित वस्तुओं पर 10% या उससे अधिक टैरिफ (Import Tariff) लगा सकता है, जिससे ये वस्तुएं उपभोक्ताओं के लिए महंगी हो जाएंगी।

इन नीतियों से अमेरिका में महंगाई बढ़ने का खतरा है। ऐसी स्थिति में फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) को ब्याज दरें ऊंची बनाए रखनी पड़ सकती हैं। इससे डॉलर (Dollar) को और मजबूती मिलेगी, जबकि भारतीय रुपये जैसी अन्य मुद्राओं पर कमजोरी का असर दिखाई देगा।

यदि ट्रंप की नीतियां लागू होती हैं, तो 2025 में रुपये के स्तर में और गिरावट देखी जा सकती है। इससे न केवल आयात महंगा होगा, बल्कि देश की आर्थिक स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है। निवेशकों और आम जनता के लिए यह समय सतर्कता बरतने का होगा।

विदेशी मुद्रा भंडार में आई भारी कमी

भारतीय रुपये की गिरावट को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से बड़े पैमाने पर डॉलर बेचे हैं, लेकिन इसके बावजूद रुपये की स्थिति में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ है। 27 सितंबर 2024 को खत्म हुए सप्ताह में आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार 704.88 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर था, जो 22 नवंबर 2024 तक घटकर 656.58 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया। इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 50 बिलियन डॉलर की कमी आई है।

इस गिरावट के प्रमुख कारणों में अक्टूबर और नवंबर में भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली शामिल है, जिसमें अक्टूबर में 11 बिलियन डॉलर और नवंबर में 1.5 बिलियन डॉलर के शेयर्स बेचे गए। इसके अलावा, रुपये को थामने के लिए आरबीआई द्वारा डॉलर बेचे जाने का भी बड़ा असर पड़ा है।

अर्थव्यवस्था और महंगाई से रुपये में गिरावट का खतरा

रुपये की गिरावट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ती चिंता का सामना करना पड़ रहा है। अक्टूबर 2024 में खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी और खाद्य महंगाई दर 11 फीसदी के पार पहुंचने के बाद, रुपये में और गिरावट आने की आशंका गहरी हो गई है। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में आरबीआई और सरकार के अनुमानों के विपरीत आर्थिक विकास दर घटकर 5.4 फीसदी पर आ गई है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़े संकेत के रूप में सामने आई है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सबसे ज्यादा कमजोरी देखने को मिली है, जो भविष्य में रुपये की स्थिति पर असर डाल सकता है।

इस मंदी के चलते आने वाले महीनों में रुपये के और कमजोर होने का खतरा है, जिससे आयात महंगा हो सकता है और देश में महंगाई की दर और बढ़ सकती है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड, सिद्धार्थ खेमका का कहना है कि दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 5.4 फीसदी पर आ गया है, जो पिछले सात महीने का सबसे निचला स्तर है। इसका असर रुपये पर भी पड़ा है, जो अब रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच चुका है।

2025 में रुपये में और कमजोरी आ सकती है!

जानकारों के मुताबिक, डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी यदि जारी रहती है, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भविष्य में भी हस्तक्षेप कर सकता है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव पड़ सकता है। वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए, 2025 में रुपये के मजबूत होने की संभावना कम नजर आ रही है, और ऐसी संभावना जताई जा रही है कि डॉलर के मुकाबले रुपया और कमजोर हो सकता है।

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