महिलाएं अब वित्तीय सुरक्षा की जिम्मेदारी उठा रही हैं। 44% महिलाएं टर्म इंश्योरेंस में 1 करोड़ या अधिक का कवर चुन रही हैं, जो उनकी बढ़ती आर्थिक जागरूकता और आत्मनिर्भरता दर्शाता है।
International Women’s Day 2025: भारतीय महिलाएं अब अपनी वित्तीय सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठा रही हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, टर्म इंश्योरेंस खरीदने वाली 44% महिलाएं अब 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक का कवर ले रही हैं। यह ट्रेंड महिलाओं की बढ़ती आर्थिक स्वतंत्रता और वित्तीय निर्णय लेने की क्षमता को दर्शाता है।
बीमा और निवेश योजनाओं में बढ़ी भागीदारी
महिलाओं की बीमा और निवेश योजनाओं में भागीदारी बढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार, हेल्थ इंश्योरेंस, टर्म लाइफ इंश्योरेंस और निवेश से जुड़ी योजनाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी पहले से अधिक हो गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव डिजिटल फाइनेंस तक महिलाओं की आसान पहुंच और कार्यबल में बढ़ती भागीदारी के कारण आया है।
गृहिणियां भी दिखा रही हैं रुचि
बीमा क्षेत्र में वेतनभोगी महिलाओं के साथ गृहिणियों की भागीदारी भी तेजी से बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार, टर्म इंश्योरेंस लेने वाली महिलाओं में 49% वेतनभोगी महिलाएं हैं, जबकि 39% गृहिणियां भी इसमें रुचि दिखा रही हैं। खासकर 31-40 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं ने सबसे अधिक टर्म इंश्योरेंस खरीदा है।
स्वास्थ्य बीमा में महिलाओं की बढ़ती रुचि
स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में भी महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पिछले कुछ वर्षों में बीमा लेने वाली महिलाओं की संख्या 15% से बढ़कर 22% हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, 70-75% महिलाएं 10 लाख रुपये या उससे अधिक की बीमा राशि को प्राथमिकता दे रही हैं। वहीं, 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं एक करोड़ रुपये के हेल्थ कवरेज को बेहतर विकल्प मान रही हैं और सुपर टॉप-अप प्लान को अपना रही हैं।
महिलाओं के निवेश में बड़ा बदलाव
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) में भी महिलाओं का निवेश बढ़ा है। कुल निवेश का 19% हिस्सा अब महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। यह दर्शाता है कि महिलाएं अब लॉन्ग-टर्म फाइनेंशियल प्लानिंग को गंभीरता से ले रही हैं।
श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी
हालांकि, वित्तीय जागरूकता और बीमा योजनाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, लेकिन श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी में अब भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में 8.9 करोड़ शहरी महिलाएं श्रम बाजार से बाहर रहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या शिक्षित महिलाओं के कौशल के कम उपयोग और सामाजिक मानदंडों की बाधाओं के कारण बनी हुई है।
संपत्ति निवेश में महिलाओं की दिलचस्पी बढ़ी
घर खरीदने वाली महिलाओं की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में देश के आठ प्रमुख शहरों में 1.29 लाख आवासीय संपत्तियां महिलाओं के नाम पर पंजीकृत हुई हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 14% अधिक है। वहीं, संयुक्त रूप से (पति-पत्नी दोनों के नाम) संपत्तियों के पंजीकरण में 7% की गिरावट देखी गई है।