SEBI की पूर्व प्रमुख माधवी पुरी बुच पर कानूनी शिकंजा, कोर्ट ने FIR दर्ज करने के दिए निर्देश, जानिए पूरा मामला

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मुंबई ACB कोर्ट ने पूर्व SEBI प्रमुख माधवी पुरी बुच पर शेयर बाजार में धोखाधड़ी के आरोपों पर FIR का आदेश दिया। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी ग्रुप से मिलीभगत के दावे किए गए थे।

SEBI chief Madhavi Puri Buch: मुंबई की विशेष एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) कोर्ट ने पूर्व SEBI प्रमुख माधवी पुरी बुच और पांच अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का आदेश दिया है। उन पर शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और नियामकीय उल्लंघन के आरोप लगे हैं। यह आदेश ऐसे समय में आया है जब उनका SEBI प्रमुख के रूप में कार्यकाल 28 फरवरी को समाप्त हो चुका है। उनकी जगह ओडिशा कैडर के IAS तुहिन कांत पांडे को नया SEBI प्रमुख बनाया गया है, जिनका कार्यकाल तीन वर्षों तक रहेगा।

क्या है पूरा मामला?

पूर्व SEBI प्रमुख माधवी पुरी बुच के खिलाफ अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने 2024 के आखिर में एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी ग्रुप के विदेशी फंड में माधवी पुरी बुच और उनके पति की हिस्सेदारी है। इसके अलावा, रिपोर्ट में SEBI और अडानी ग्रुप के बीच मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए गए थे।

माधवी पुरी बुच ने आरोपों को बताया बेबुनियाद

इन आरोपों के बाद माधवी पुरी बुच और उनके पति ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पूरी तरह से बेबुनियाद है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने किसी भी जानकारी को छुपाया नहीं है और उन पर लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है।

अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया

अडानी ग्रुप ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी और हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से आधारहीन बताया था। अडानी ग्रुप ने कहा कि यह सिर्फ मुनाफा कमाने और कंपनी की छवि को खराब करने की साजिश है।

SEBI प्रमुख के रूप में विवादों में रहा बुच का कार्यकाल

माधवी पुरी बुच का कार्यकाल पहले से ही विवादों में रहा है। सितंबर 2024 में SEBI के 500 कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने SEBI के कार्यस्थल के माहौल को ‘टॉक्सिक’ बताया था। पत्र में आरोप लगाया गया था कि माधवी पुरी बुच मीटिंग्स के दौरान चिल्लाती और कर्मचारियों को सार्वजनिक रूप से अपमानित करती थीं।

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