विदेश मंत्री ने बताया कि आज हमारा द्विपक्षीय व्यापार 66 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि 2030 तक इसे 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य पूरी तरह से उचित है। उन्होंने यह भी बताया कि व्यापार संतुलन में तत्काल सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि वर्तमान स्थिति बहुत एकतरफा है।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में भारत-रूस व्यापार मंच को सोमवार को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि रूस ने 2022 से एशिया पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है। इससे सहयोग के कई नए अवसर उत्पन्न हुए हैं। मजबूत समवर्ती और गहरी दोस्ती का एक लंबा इतिहास हमें इन दोनों कारकों का पूरी तरह से लाभ उठाने का अवसर देता है। विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि दोनों अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे की पूरक हैं, यह एक महत्वपूर्ण विचार है। भारत के साथ ऐसी साझेदारी, जिसका बाजार आने वाले कई दशकों तक 8% विकास दर के साथ विकास करेगा, दोनों देशों और पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद होगी।
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने मुंबई में आयोजित भारत-रूस व्यापार
मंच में यह कहा गया कि भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे की पूरक हैं, और यह सहयोग दोनों देशों के साथ-साथ समूची दुनिया के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। इसमें यह भी उल्लेख किया गया कि भारत का बाजार आने वाले दशकों में 8% की विकास दर के साथ तेजी से बढ़ेगा, जिससे यह साझेदारी और अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगी।
इसके अतिरिक्त, विदेश मंत्री ने द्विपक्षीय व्यापार और सहयोग के 10 महत्वपूर्ण पहलुओं पर जोर दिया, जिनमें व्यापार संतुलन को सुधारने, नई कनेक्टिविटी पहलों पर ध्यान केंद्रित करने और "मेक इन इंडिया" जैसी योजनाओं में रूस की बढ़ती भागीदारी शामिल है।
द्विपक्षीय व्यापार: वर्तमान में भारत-रूस का व्यापार 66 अरब डॉलर है और 2030 तक इसे 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
व्यापार संतुलन: व्यापार संतुलन को सुधारने की जरूरत है, जो अब तक बहुत एकतरफा है।
भारत-यूरेशियन आर्थिक संघ व्यापार: मार्च 2024 में इस वार्ता की शुरुआत की गई थी, जिसे और तेज़ी से बढ़ाने की आवश्यकता है।
द्विपक्षीय निवेश मंच: अप्रैल 2024 में मास्को में पहला द्विपक्षीय निवेश मंच आयोजित किया गया।
रूसी सुदूर पूर्व सहयोग: जुलाई 2024 में द्विपक्षीय संबंधों पर एक समझौता हुआ जिसमें कनेक्टिविटी क्षेत्र भी शामिल है।
राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार: यह पहल खासकर मौजूदा अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
सीमा शुल्क अधिकारियों का द्विपक्षीय समझौता: मई 2024 में दोनों देशों के सीमा शुल्क अधिकारियों के बीच द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
कनेक्टिविटी पहल: अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारा, और उत्तरी समुद्री मार्ग की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने की आवश्यकता है।
मेक इन इंडिया की बढ़ती प्रशंसा: रूस की बढ़ती रुचि भारत के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को सहायक साबित हो सकती है।
शिक्षा और फिल्म उद्योग: गैर-आर्थिक क्षेत्रों जैसे शिक्षा और फिल्म उद्योग में भी भारत और रूस के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।