Kumbh Mela 2025: कुंभ मेला 2025 की तारीखें और शाही स्नान, जानिए कब होगा यह ऐतिहासिक अवसर!

Kumbh Mela 2025: कुंभ मेला 2025 की तारीखें और शाही स्नान, जानिए कब होगा यह ऐतिहासिक अवसर!
Last Updated: 1 दिन पहले

महाकुंभ का आयोजन 29 जनवरी 2025 को होगा। प्रयाग में होने वाले महाकुंभ के शाही स्नान से लेकर इसके महत्व के बारे में जानें। इस विशेष अवसर पर लाखों श्रद्धालु भाग लेंगे और अपने पापों का प्राश्चित करने के लिए गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करेंगे। महाकुंभ का यह आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो आस्था और विश्वास का प्रतीक है। इस लेख में हम शाही स्नान की तिथि और महाकुंभ के महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

कुंभ मेला 2025: कुंभ मेला हर 3 साल, 6 साल में अर्ध कुंभ मेला और 12 साल में महाकुंभ मेला का आयोजन होता है। आखिरी बार महाकुंभ मेला 2013 में आयोजित किया गया था। इसके बाद, 2019 में अर्धकुंभ मेला हुआ। अब, 2025 में महाकुंभ मेला एक बार फिर से आयोजित होने जा रहा है, जो कि बहुत भव्य होगा। आइए जानते हैं महाकुंभ 2025 से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें। महाकुंभ मेला 2025 उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 29 जनवरी को सिद्धि योग में आयोजित किया जाएगा। यह सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे बड़ा त्यौहार होता है, जिसमें दुनियाभर के साधु-संत और श्रद्धालु इस पवित्र मेले में शामिल होने के लिए आते हैं। महाकुंभ का दृश्य ऐसा प्रतीत होता है मानो पूरी दुनिया के लोग इस मेले में एकत्र हो गए हों, जैसे हजारों नदियाँ एक स्थान पर मिल रही हों। इस पावन महासंगम में हर कोई डुबकी लगाने की इच्छा रखता है, इसलिए इसे महासंगम भी कहा जाता है। महाकुंभ 29 जनवरी 2025 से लेकर 8 मार्च 2025 तक चलेगा।

महाकुंभ 2025 शाही स्नान की तारीखें और आयोजन स्थल

महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से शुरू हो रहा है, और इस वर्ष शाही स्नान की कई महत्वपूर्ण तारीखें हैं। जानिए शाही स्नान की पूरी सूची और कुंभ के प्रमुख आयोजन स्थलों के बारे में।

महाकुंभ 2025 शाही स्नान की तारीखें।

13 जनवरी 2025: पहला शाही स्नान, पौष पूर्णिमा के दिन।

14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति के अवसर पर भव्य शाही स्नान।

29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या पर शाही स्नान।

3 फरवरी 2025: बसंत पंचमी के दिन होगा शाही स्नान

12 फरवरी 2025: माघ पूर्णिमा के मौके पर शाही स्नान।

26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि के दिन शाही स्नान।

महाकुंभ 2025 का आयोजन इन प्रमुख स्थानों पर होगा

हरिद्वार: कुंभ मेला तब आयोजित होता है, जब सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में होता है।

प्रयागराज: महाकुंभ का आयोजन जब सूर्य मकर राशि में होता है।

नासिक: यहां कुंभ मेला तब आयोजित किया जाता है, जब सूर्य और बृहस्पति दोनों राशि परिवर्तन करते हैं।

उज्जैन: यहां महाकुंभ मेला तब आयोजित होता है, जब बृहस्पति सिंह राशि में और सूर्य मेष राशि में होता है।

इन विशेष तिथियों और स्थानों पर आयोजित होने वाले महाकुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं, और यह एक ऐतिहासिक धार्मिक अवसर होता है।

महाकुंभ का महत्व

कुंभ का इतिहास बहुत प्राचीन है, और इसकी शुरुआत समुद्र मंथन के समय से होती है, जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश के लिए संघर्ष हुआ था। हिंदू धर्म में कुंभ का विशेष महत्व है और हर कुंभ के अवसर पर लाखों श्रद्धालु इस दिव्य उत्सव में भाग लेने के लिए आते हैं। उदाहरण के लिए, साल 2003 में हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले में 10 मिलियन से अधिक लोग शामिल हुए थे। कुंभ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें शामिल होने वाले साधु-संतों का अद्भुत समुदाय होता है, जिनके दर्शन सामान्यतः दुर्लभ होते हैं। महाकुंभ का सबसे बड़ा महत्व यह है कि इसमें भाग लेने वाले लोगों को एक अद्वितीय अनुभव प्राप्त होता है। कहा जाता है कि कुंभ के दौरान स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है, जो व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाने में सहायता करती है। महाकुंभ अपने आप में चमत्कारों से भरा होता है, जहाँ गंगा के किनारे रातों-रात एक नगर बस जाता है और दुनियाभर से लोग यहाँ आते हैं।

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