हरियाणा में राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण के गठन के बाद अब सभी जिलों में पुलिस शिकायत प्राधिकरण बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण में जल्द ही महिला सदस्य की भी नियुक्ति की जाएगी।
चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण (State Police Complaints Authority) को और सशक्त बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब हर जिले में पुलिस शिकायत प्राधिकरण की स्थापना की तैयारी चल रही है। साथ ही, राज्य प्राधिकरण में जल्द ही एक महिला सदस्य की नियुक्ति भी की जाएगी।
राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण के तहत सेवानिवृत्त आईपीएस डॉ. आरसी मिश्रा को चेयरपर्सन और सेवानिवृत्त आईएएस ललित सिवाच को सदस्य नियुक्त किया गया है। ये नियुक्तियां पुलिस प्राधिकरण को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए की गई हैं।
जिला स्तर पर भी होगी शिकायत की सुविधा
हरियाणा सरकार ने लगभग 11 वर्षों बाद जिला स्तर पर पुलिस शिकायत प्राधिकरण के गठन पर काम शुरू किया है। इसके तहत इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आम नागरिक आसानी से शिकायत कर सकेंगे। जिला स्तर के पुलिस शिकायत प्राधिकरण का चेयरमैन सेवानिवृत्त जिला जज होंगे। वहीं, सदस्यों के रूप में सेवानिवृत्त आइएएस और आइपीएस अधिकारी नियुक्त किए जा सकते हैं। इससे नागरिकों को न सिर्फ शिकायत दर्ज कराने में आसानी होगी, बल्कि पुलिस कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ेगी।
राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण की वर्तमान स्थिति
राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण के पास वर्तमान में 500 से अधिक शिकायतें लंबित हैं। इनमें से कई शिकायतों पर सुनवाई की जा चुकी है। प्राधिकरण ने अब तक 70 मामलों में इंस्पेक्टर और उससे नीचे रैंक के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सुनवाई के बाद गृह विभाग को कार्रवाई के लिए निर्देश जारी किए हैं। यह कदम पुलिस प्रणाली में जवाबदेही बढ़ाने और नागरिकों को न्याय दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जिला स्तर पर प्राधिकरण बनने से शिकायतों का निपटारा तेज़ और प्रभावी होगा।
राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण में महिला सदस्य की नियुक्ति के लिए सरकार ने आवेदन आमंत्रित किए हैं। यह पहल महिलाओं के दृष्टिकोण को शामिल करने और प्राधिकरण की कार्यप्रणाली में समावेशिता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, महिला सदस्य की नियुक्ति से न केवल महिलाओं की शिकायतों का त्वरित निपटारा संभव होगा, बल्कि पुलिस कार्यप्रणाली में लैंगिक संवेदनशीलता भी सुनिश्चित होगी।