आइएआइओएस (एकीकृत घुसपैठ रोधी तंत्र) के अत्याधुनिककरण ने एलओसी पर भारतीय सुरक्षाबलों के अभियानों को और अधिक प्रभावी और धारदार बना दिया है। इससे दुश्मन के किसी भी दुस्साहस का तात्कालिक व निर्णायक जवाब देने की क्षमता बढ़ी है।
जम्मू-कश्मीर: पाकिस्तान की ओर से लगातार बढ़ती घुसपैठ की साजिशों के बीच भारतीय सेना ने एकीकृत घुसपैठ रोधी तंत्र (IAIOS – Integrated Anti-Infiltration Obstacle System) को और अत्याधुनिक बनाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। नई तकनीक और उन्नत निगरानी उपकरणों के इस्तेमाल से सेना की क्षमता कई गुना बढ़ गई है। 360-डिग्री सीसीटीवी कैमरे, थर्मल इमेजर, इलेक्ट्रॉनिक सेंसर, ड्रोन और लंबी दूरी के यूएवी चौबीसों घंटे एलओसी (LoC) की निगरानी कर रहे हैं।
इस आधुनिकीकरण से सेना दुश्मन के किसी भी दुस्साहस का न सिर्फ तुरंत जवाब देने में सक्षम होगी, बल्कि रियल-टाइम सूचना और पूर्व सक्रियता (Proactive Strategy) के जरिए आतंकियों की साजिश को जड़ से खत्म करने में भी सफल होगी।
IAIOS का लगातार आधुनिकीकरण जारी
सैन्य सूत्रों के अनुसार, एलओसी के विभिन्न हिस्सों पर अब तक कई नई तकनीकें लागू की गई हैं। इसमें 360-डिग्री हाई रिजॉल्यूशन सीसीटीवी कैमरे और थर्मल इमेजर शामिल हैं, जो हर मौसम में पूरी तरह सक्रिय रहते हैं। ये उपकरण दूरस्थ गतिविधियों का रियल-टाइम डेटा उपलब्ध कराते हैं, जिससे जवान तुरंत कार्रवाई कर सकें।
इसके अलावा, हैंडहेल्ड ड्रोन, क्वाडकॉप्टर और लंबी दूरी वाले यूएवी का इस्तेमाल भी निगरानी में हो रहा है। यह तकनीक जंगलों, पहाड़ी इलाकों और नालों जैसी दुर्गम जगहों पर दुश्मन की हलचल पकड़ने में अहम साबित हो रही है। साथ ही, ह्यूमन इंटेलिजेंस नेटवर्क (Human Intelligence Network) को भी इस सिस्टम से जोड़ा गया है, जिससे तकनीकी और मानवीय सूचनाओं का तालमेल और मजबूत हुआ है।
एलओसी पार फिर सक्रिय हुए आतंकी लॉन्चिंग पैड
एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने जानकारी दी कि एलओसी के पार पाकिस्तान की सेना की निगरानी में आतंकी लॉन्चिंग पैड फिर से सक्रिय हो चुके हैं। खासतौर पर गुलाम कश्मीर के उड़ी, नौगाम, करनाह, गुरेज और टंगधार सेक्टर के सामने बड़ी संख्या में आतंकी मौजूद हैं। सर्दियों की शुरुआत और पहाड़ों पर हिमपात से पहले ये आतंकी अधिक से अधिक संख्या में भारत में घुसपैठ की कोशिश करेंगे।
ऐसे में IAIOS का आधुनिकीकरण भारतीय सेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अधिकारी के अनुसार, तकनीक के उपयोग ने हमारी सुरक्षा क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया है।
रियल-टाइम निगरानी से तुरंत कार्रवाई संभव
IAIOS से अब एलओसी पर तारबंदी और आसपास के इलाके का लाइव फीड उपलब्ध है। जैसे ही किसी जगह पर संदिग्ध गतिविधि होती है, तुरंत उसका अलर्ट फॉरवर्ड पोस्ट्स तक पहुंचता है। तैनात जवान इसे वेरिफाई करते हैं और बिना देरी किए आवश्यक कार्रवाई करते हैं। हाल ही में कर्न सेक्टर में घुसपैठ की एक कोशिश को नाकाम करने में इसी तकनीक ने अहम भूमिका निभाई। रियल-टाइम निगरानी से आतंकियों की गतिविधि का पता चला और तैनात जवानों ने तुरंत ऑपरेशन चलाकर दोनों घुसपैठियों को मार गिराया।
तकनीक से मिली मदद ने जहां जवानों की निगरानी क्षमता बढ़ाई है, वहीं यह भी सुनिश्चित किया है कि मानव संसाधन का उपयोग अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों में हो सके। इसके बावजूद, सेना लगातार हाई अलर्ट पर रहती है क्योंकि पाकिस्तान की ओर से आतंकियों को भारत में धकेलने की कोशिशें जारी रहती हैं। एक अधिकारी ने बताया कि दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखी जा रही है। तकनीक हमें तुरंत सूचना देती है, जिससे प्रतिक्रिया समय घट गया है। यह बदलाव दुश्मन की हर साजिश को विफल बनाने में मददगार साबित हो रहा है।