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EU बैन के बावजूद भारत का डीजल एक्सपोर्ट रिकॉर्ड 13-14 लाख टन पर पहुँचा, यूरोप में बनाया हाईएस्ट लेवल

EU बैन के बावजूद भारत का डीजल एक्सपोर्ट रिकॉर्ड 13-14 लाख टन पर पहुँचा, यूरोप में बनाया हाईएस्ट लेवल

सितंबर में भारत का यूरोप को डीजल एक्सपोर्ट रिकॉर्ड स्तर 13-14 लाख मीट्रिक टन पर पहुंच गया। रिफाइनरी मेंटेनेंस, कम शिपिंग कॉस्ट और ईस्ट-वेस्ट प्राइस स्प्रेड बढ़ने से सप्लाई बढ़ी। यूरोपीय यूनियन का रूस से तेल पर बैन भी एक्सपोर्ट को प्रभावित नहीं कर सका। अक्टूबर में दिवाली के कारण डिमांड बढ़ने से एक्सपोर्ट में थोड़ी गिरावट आ सकती है।

Oil Export: सितंबर 2025 में भारत ने यूरोप को डीजल का रिकॉर्ड एक्सपोर्ट दर्ज किया, जो 13-14 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया। ईस्ट-वेस्ट स्प्रेड 45 डॉलर प्रति टन बढ़ने और रिफाइनरी मेंटेनेंस के दौरान कम शिपिंग कॉस्ट ने सप्लाई को बूस्ट किया। यूरोपीय यूनियन द्वारा रूस से तेल पर लगाया गया बैन भी भारत के एक्सपोर्ट को रोक नहीं पाया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि दिवाली सीजन में घरेलू मांग बढ़ने से अक्टूबर में एक्सपोर्ट में मामूली गिरावट आ सकती है।

रिकॉर्ड निर्यात क्यों हुआ

विशेषज्ञों के अनुसार, रिफाइनरी मेंटेनेंस के चलते यूरोप में डीजल की सप्लाई कम हुई, जिससे वहां कीमतों में मजबूती आई। भारत के ट्रेडर्स ने इस अवसर का फायदा उठाते हुए यूरोप को डीजल भेजा। शिपट्रैकिंग डेटा से पता चला कि भारत के प्रमुख रिफाइनर्स, जो अपना लगभग एक-तिहाई क्रूड ऑयल रूस से खरीदते हैं, उन्होंने उत्पादन बढ़ाया और अतिरिक्त प्रोडक्ट्स को ओवरसीज भेजा।

केप्लर और एलएसईजी के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में भारत का कुल डीजल एक्सपोर्ट लगभग 30 लाख टन तक पहुंच गया। यह पिछले पांच साल का सबसे उच्च स्तर है। वहीं, ईस्ट-वेस्ट स्प्रेड भी बढ़कर एवरेज 45 डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गया, जो अगस्त में 30 डॉलर से कम था। इस बढ़त ने ट्रेडर्स को यूरोप भेजने के लिए उत्साहित किया।

शिपिंग और लागत में कमी

शिपब्रोकर्स के अनुसार, भारत-यूरोप रूट पर रिफाइंड फ्यूल की शिपिंग लागत सितंबर के दूसरे हिस्से में घटकर 3.25 से 3.5 मिलियन डॉलर रह गई। यह अगस्त के अंत और सितंबर की शुरुआत में 4 से 4.2 मिलियन डॉलर थी। शिपिंग कॉस्ट में कमी ने यूरोप में भारतीय डीजल की प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी और इसे ज्यादा आकर्षक बनाया।

EU का बैन और उसका असर

यूरोपीय संघ ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों के फ्यूल पर बैन लगाया है। इसके बावजूद भारत ने यूरोप को अपना निर्यात बढ़ाया। ट्रेडर्स का मानना है कि रूस से डिराइव्ड प्रोडक्ट्स को जरूरत पड़ने पर मिडिल ईस्ट के तेल से आसानी से बदल लिया जा सकता है। यही वजह है कि EU का बैन फिलहाल भारतीय निर्यात पर बड़ा असर नहीं डाल पाया।

अक्टूबर में संभावित गिरावट

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अक्टूबर में दिवाली के दौरान घरेलू डिमांड बढ़ने की वजह से डीजल एक्सपोर्ट में गिरावट आ सकती है। वोर्टेक्सा के एशिया-पैसिफिक एनालिसिस हेड इवान मैथ्यूज के अनुसार, यह ड्रॉप सीमित रह सकती है। उत्पादन में प्रोडक्ट क्रैक पिछले साल की तुलना में अधिक होने के कारण रिफाइनर्स को ज्यादा मार्जिन मिलेगा, जिससे कुछ निर्यात बिक्री को बढ़ावा मिल सकता है।

ट्रेडर्स की सतर्कता

ट्रेडर्स भारत-यूरोप ट्रेड रूट पर निर्यात की मात्रा को लेकर सतर्क हैं। उन्हें यूरोपीय संघ के 18वें सैंक्शन पैकेज का असर ध्यान में रखना है। इस पैकेज के तहत रूस से डिराइव्ड फ्यूल पर प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जरूरत पड़ने पर मिडिल ईस्ट ऑरिजिन के बैरल्स आसानी से उपलब्ध हैं और इन्हें निर्यात में इस्तेमाल किया जा सकता है।

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