Mahabharata Story: महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण की चालाकी से दुर्योधन की हार, पुत्रमोह में आकर गांधारी ने खोली थी आंखो की पट्टी

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महाभारत के महायुद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने भले ही प्रत्यक्ष रूप से शस्त्र न उठाया हो, लेकिन उनकी नीति और रणनीति के बिना पांडवों के लिए विजय प्राप्त करना लगभग असंभव था। युद्ध के अंतिम चरण में, जब सभी प्रमुख योद्धा मारे जा चुके थे, तब दुर्योधन ही कौरव सेना का अंतिम प्रमुख सेनापति बचा था।

गांधारी ने क्यों बांधी थी आंखों पर पट्टी?

जब गांधारी को यह ज्ञात हुआ कि उनका विवाह एक नेत्रहीन राजा धृतराष्ट्र से होने जा रहा है, तो उन्होंने पति धर्म निभाने का निर्णय लिया। उन्होंने सोचा कि जब उनके पति इस संसार को नहीं देख सकते, तो उन्हें भी इसे देखने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और जीवनभर उसे नहीं हटाया।

गांधारी ने कब खोली थी पट्टी?

महाभारत युद्ध में कौरवों की पराजय निश्चित हो चुकी थी, और सभी कौरव मारे जा चुके थे। केवल दुर्योधन जीवित बचा था। गांधारी, जो भगवान शिव की भक्त थीं, को एक वरदान प्राप्त था कि यदि वह किसी व्यक्ति को अपनी खुली आंखों से देख लेंगी, तो उसका शरीर वज्र (अखंड) जैसा हो जाएगा। जब गांधारी को यह ज्ञात हुआ कि दुर्योधन भीमसेन से गदा युद्ध लड़ने जा रहा है, तो उन्होंने अपने पुत्र को अजेय बनाने के लिए उसे नग्न अवस्था में अपने सामने आने को कहा।

जब दुर्योधन अपनी माता के सामने जाने लगा, तब श्रीकृष्ण ने उसे बीच में रोक लिया। उन्होंने दुर्योधन से कहा, "क्या तुम्हें लज्जा नहीं आती कि इतने बड़े होकर अपनी माता के सामने नग्न अवस्था में जाओगे?" श्रीकृष्ण की इस बात को सुनकर दुर्योधन अपनी जांघों को पत्तों से ढककर गांधारी के सामने गया। जब गांधारी ने अपनी पट्टी खोली, तो उनका वरदान केवल दुर्योधन के ऊपरी शरीर पर ही लागू हुआ, लेकिन उसकी जांघें और कमर कमजोर ही रह गईं।

गदा युद्ध 

अगले दिन दुर्योधन और भीम का गदा युद्ध हुआ। भीम ने पूरी शक्ति से वार किए, लेकिन दुर्योधन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि उसका शरीर वज्र के समान कठोर हो चुका था। दुर्योधन गदा युद्ध में पारंगत था और उसकी जांघें वरदानस्वरूप अजय थीं, क्योंकि उसकी माता गांधारी ने उसे पूरी तरह नग्न अवस्था में अपने तपस्वी नेत्रों से देखने का संकल्प लिया था। लेकिन श्रीकृष्ण की रणनीति से उसकी यह शक्ति भी निष्फल हो गई।

श्रीकृष्ण की रणनीति

जब भीम और दुर्योधन के बीच गदा युद्ध हो रहा था, तब श्रीकृष्ण ने भीम को गुप्त संकेत दिया कि दुर्योधन की जांघ पर वार किया जाए। क्योंकि यह महाभारत का नियम था कि गदा युद्ध में कमर से नीचे वार नहीं किया जाता। लेकिन श्रीकृष्ण जानते थे कि यदि दुर्योधन की जांघों पर प्रहार किया जाए, तो उसे हराया जा सकता हैं।

भीम का प्रहार और दुर्योधन की हार

श्रीकृष्ण के इशारे को समझकर भीम ने नियम तोड़ते हुए दुर्योधन की जांघों पर गदा से प्रहार कर दिया। इससे दुर्योधन बुरी तरह घायल होकर गिर पड़ा और युद्ध में कौरवों की पराजय सुनिश्चित हो गई।

निष्कर्ष

गांधारी का अपने पति के प्रति प्रेम और त्याग उनकी आंखों की पट्टी के रूप में दिखा, लेकिन जब पुत्र मोह आया, तब उन्होंने इसे खोलने का निर्णय लिया। किंतु श्रीकृष्ण की नीति और चतुराई के कारण दुर्योधन अजेय नहीं बन सका, और भीम ने उसे पराजित कर दिया। इस घटना से यह शिक्षा मिलती है कि भाग्य और चतुराई से बड़े से बड़ा योद्धा भी पराजित हो सकता हैं।

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