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पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने से बदल जाती है किस्मत? जानिए ज्योतिष रहस्य

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने से बदल जाती है किस्मत? जानिए ज्योतिष रहस्य

ज्योतिषशास्त्र में नक्षत्रों का व्यक्ति के स्वभाव, व्यवहार और भाग्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। 27 नक्षत्रों में से पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र 25वां स्थान रखता है। इस नक्षत्र के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं, जो ज्ञान, धन और शुभता के प्रतीक माने जाते हैं। जिन लोगों का जन्म पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में होता है, उन पर गुरु की विशेष कृपा बनी रहती है। यह नक्षत्र आधा कुंभ और आधा मीन राशि में आता है, इसलिए इन दोनों राशियों के जातकों पर इसका खास असर देखा जाता है।

कुंभ और मीन राशि पर असर

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के पहले तीन चरण कुंभ राशि में और चौथा चरण मीन राशि में आता है। इस कारण कुंभ और मीन राशि में जन्मे लोगों के स्वभाव में इस नक्षत्र की झलक देखी जा सकती है। कुंभ राशि के जातक यदि इस नक्षत्र में जन्मे हों तो वे कल्पनाशील, प्रगतिशील और समाज के लिए सोचने वाले होते हैं। वहीं मीन राशि वाले जातक भावुक, दयालु और आध्यात्मिक रुझान वाले होते हैं। दोनों ही राशियों में इस नक्षत्र का प्रभाव लोगों को परोपकारी और विचारशील बनाता है।

स्वभाव और व्यक्तित्व की विशेषताएं

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्मे लोग शांत स्वभाव के होते हैं, लेकिन किसी भी अन्याय या अनुचित बात को बर्दाश्त नहीं करते। इनका गुस्सा अचानक भड़क सकता है, लेकिन यह लंबे समय तक नहीं रहता। ये जातक साहसी होते हैं और मुश्किल हालात में भी हार नहीं मानते। इन्हें अपने सिद्धांतों और आदर्शों पर अडिग रहना पसंद होता है। ये लोग ईमानदार और अपने विचारों में स्पष्ट होते हैं।

आम के पेड़ से जुड़ा नाता

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, हर नक्षत्र का एक विशेष वृक्ष से संबंध होता है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का संबंध आम के पेड़ से है। जिनका जन्म इस नक्षत्र में हुआ है, उन्हें आम के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और उसे प्रणाम करना चाहिए। यह कार्य उन्हें विशेष शुभ फल देता है।

हालांकि, इन्हें आम या आम से बनी चीजों जैसे आमरस, आम का अचार, आमपापड़ आदि से परहेज करने की सलाह दी जाती है। ऐसी मान्यता है कि आम के फल का सेवन करने से इन जातकों को नकारात्मक प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए आम के पेड़ की पूजा तो शुभ मानी जाती है, लेकिन इसके फल से दूरी रखने की बात कही जाती है।

पंचक में न करें ये कार्य

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र पंचक के नक्षत्रों में तीसरे स्थान पर आता है। पंचक पांच नक्षत्रों का वह समय होता है जब कुछ विशेष कार्य करना वर्जित माना जाता है। धनिष्ठा से रेवती तक के नक्षत्र पंचक कहलाते हैं। 15 जुलाई को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र होने के कारण पंचक भी चल रहा है।

पंचक काल में लकड़ी से जुड़ा कोई भी कार्य जैसे लकड़ी इकट्ठा करना, लकड़ी की छत बनवाना या फर्नीचर का काम शुभ नहीं माना जाता। यह समय 17 जुलाई की देर रात 3 बजकर 39 मिनट तक रहेगा, तब तक इन कार्यों से बचने की बात शास्त्रों में कही गई है।

शुभ और अशुभ फल का संतुलन

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक कई बार जीवन में बड़ी चुनौतियों से गुजरते हैं, लेकिन उनकी आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास उन्हें हर बार उबार लेता है। इन पर गुरु की कृपा होती है, जिससे इन्हें शिक्षा, धन और समाज में सम्मान की प्राप्ति होती है। हालांकि इनके जीवन में भावनात्मक उतार-चढ़ाव अधिक रहते हैं। इनकी सोच गहरी होती है और ये दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन सकते हैं।

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