Pune

भूतेश्वर महादेव मंदिर: मथुरा का वो कोना जहां भगवान शिव कोतवाल बनकर विराजे हैं

भूतेश्वर महादेव मंदिर: मथुरा का वो कोना जहां भगवान शिव कोतवाल बनकर विराजे हैं

सावन का महीना आते ही भगवान शिव की भक्ति में डूबे श्रद्धालुओं का सैलाब देश के कोने-कोने से उमड़ने लगता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में स्थित एक ऐसा स्थान है, जहां सावन में सिर्फ पूजा नहीं होती, बल्कि एक पौराणिक कहानी भी जीवंत हो उठती है। यहां भगवान शिव भूतेश्वर महादेव के रूप में न केवल पूजे जाते हैं, बल्कि कोतवाल के रूप में मथुरा की रक्षा भी करते हैं।

श्रीकृष्ण की नगरी में शिव को मिला प्रहरी का स्थान

मथुरा में कदम रखते ही जो पहला शिवालय आपकी आस्था को खींचता है, वह है भूतेश्वर महादेव मंदिर। मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध कर मथुरा को मुक्त कराया, तब उन्होंने इस नगरी की सुरक्षा के लिए भगवान शिव से विशेष आग्रह किया था। यही कारण है कि भगवान भोलेनाथ को मथुरा का कोतवाल कहा जाता है।

मंदिर का इतिहास और रहस्य

भूतेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास कितना पुराना है, इस पर आज भी शोध चल रहे हैं। कुछ जानकारों का मानना है कि यह मंदिर करीब 400 से 500 साल पुराना है, जबकि कई स्थानीय कथाओं में इसे हज़ारों साल पुराना बताया गया है। यहां तक कि कुछ लोग इसे द्वापर युग से जोड़ते हैं और कहते हैं कि यह शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था।

52 शक्तिपीठों में एक अद्भुत स्थान

भूतेश्वर महादेव मंदिर को लेकर एक और विशेष मान्यता है कि यह मंदिर भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि इस मंदिर के गर्भगृह के नीचे एक गुप्त स्थान है जहां पाताल देवी का वास है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां कंस भी कभी पूजा के लिए आया करता था। इस रहस्य को जानने के लिए कई बार खुदाई की कोशिशें भी हुईं, लेकिन मंदिर प्रशासन इसे विशेष स्थान मानते हुए संरक्षित रखता है।

तारकासुर की तपोभूमि भी यही मानी जाती है

एक अन्य कथा के अनुसार, राक्षस तारकासुर ने यहीं पर कठोर तपस्या की थी ताकि उसे भगवान शिव से वरदान प्राप्त हो सके। इसी वजह से इस स्थल को सिद्ध भूमियों में से एक माना जाता है। यहां आकर साधक आज भी ध्यान और साधना करते हैं।

सावन में उमड़ती है आस्था की लहर

सावन के पवित्र महीने में इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है। हजारों श्रद्धालु शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध, शहद, चंदन और अक्षत चढ़ाकर भगवान से अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं। रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और शिव स्तुति का माहौल यहां हर ओर गूंजता है।

मथुरा के चौराहे पर क्यों है शिव का यह मंदिर

मथुरा का भूतेश्वर चौराहा न केवल शहर के मध्य में है, बल्कि ये बृज क्षेत्र के प्रमुख रास्तों को जोड़ने वाला स्थान भी है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव यहां इसीलिए विराजे ताकि मथुरा आने-जाने वाले हर भक्त की निगाह पहले शिव पर पड़े। यह मंदिर एक प्रहरी की तरह हर भक्त का स्वागत करता है।

हर मनोकामना होती है पूरी

कहते हैं कि जो भक्त सच्चे मन से भूतेश्वर महादेव का जलाभिषेक करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। चाहे वो विवाह की इच्छा हो, संतान सुख हो या फिर मानसिक शांति, श्रद्धालु यहां आकर भोलेनाथ के दर पर शीश नवाते हैं और खाली हाथ नहीं लौटते।

कैसे पहुंचें मंदिर तक

भूतेश्वर महादेव मंदिर मथुरा जंक्शन से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह चौराहा पूरे शहर का मुख्य केंद्र माना जाता है। सावन के महीने में प्रशासन विशेष इंतजाम करता है ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो।

कोतवाल शिव की लीला मथुरा में आज भी जीवंत

भूतेश्वर महादेव सिर्फ एक मंदिर नहीं, एक विश्वास है। एक ऐसा स्थल जहां भगवान शिव खुद कोतवाल बनकर श्रीकृष्ण की नगरी की रक्षा करते हैं। मथुरा में यह भाव हर श्रद्धालु के मन में रचा-बसा है। सावन के हर दिन यहां हर हर महादेव के जयघोष के साथ भक्ति की लहर बहती है।

Leave a comment