साल की सभी एकादशियों में देवउठनी एकादशी को विशेष महत्व प्राप्त है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीहरि चार महीनों की योग निद्रा के बाद जागते हैं। इस तिथि से विवाह जैसे शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। इस दिन देवताओं को निद्रा से जगाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस अवसर पर भक्तगण भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
आज, अर्थात 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, का व्रत मनाया जा रहा है। इसे एक अबूझ मुहूर्त माना जाता है, क्योंकि इस दिन शुभ अवसरों जैसे विवाह आदि बिना किसी विशेष मुहूर्त के भी किए जा सकते हैं। इसके अगले दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह करने का भी विधान है। तो आइए, देवउठनी एकादशी के इस अवसर पर देवताओं को उठाने वाले गीतों का आनंद लेते हैं।
कुछ प्रसिद्ध देवउठनी एकादशी गीत
मूली का पत्ता हरिया भरिया
मूली का पत्ता हरिया भरिया, ईश्वर का मुख पानी भरिया,
मूली का पत्ता हरिया भरिया, बबीता का मुख पानो भरिया।
(यहां परिवार की सभी बहुओं के नाम लिए जाते हैं।)
ओल्या-कोल्या धरे अनार जीयो
ओल्या-कोल्या धरे अनार जीयो, वीरेन्द्र तेरे यार।
ओल्या-कोल्या धरे अनार जीयो, पुनीत तेरे यार।
(यहां परिवार के सभी पुरुषों के नाम लिए जाते हैं।)
ओल्या-कोल्या धरे पंज गट्टे
ओल्या-कोल्या धरे पंज गट्टे, जीयो ललिता तेरे बेटे।
ओल्या-कोल्या धरे पंज गट्टे, जीयो मनीषा तेरे बेटे।
(यहां परिवार की सभी बहुओं के नाम लिए जाते हैं।)
ओल्या-कोल्या धरे अंजीर जीयो
ओल्या-कोल्या धरे अंजीर जीयो, सरोज तेरे वीर।
ओल्या-कोल्या धरे अंजीर जीयो, पूजा तेरे बीर।
(यहां परिवार की सभी लड़कियों के नाम लिए जाते हैं।)
बुल बुलड़ी नै घालो गाड़ी
बुल बुलड़ी नै घालो गाड़ी, राज करे अशोक की दादी।
बुल बुलड़ी नै घालो गाड़ी, राज करे पुनित की दादी।
(यहां परिवार के सभी लड़कों के नाम लिए जाते हैं।)
जितनी इस घर सींक सलाई
जितनी इस घर सींक सलाई, उतनी इस घर बहूअड़ आई।
जितनी खूंटी टाँगू सूत, उतने इस घर जनमे पूत।
जितने इस घर ईंट रोड़े, उतने इस घर हाथी घोड़े।
उठ नारायण, बैठ नारायण
उठ नारायण, बैठ नारायण, चल चना के खेत नारायण।
मैं बोऊँ तू सींच नारायण, मैं काट तू उठा नारायण।
मैं पीस तू छान नारायण, में पोऊ तू खा नारायण।
कोरा करवा शीतल पानी, उठो देवो पियो पानी।
उठो देवा, बैठो देवा
उठो देवा, बैठो देवा, अंगुरिया चटकाओ देवा।
जागो जागो हरितश (गोत का नाम) गोतियों के देवा।
इन गीतों का उद्देश्य देवता को जगाना और उनके आशीर्वाद से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास सुनिश्चित करना है। परिवार के सभी सदस्य इस दिन एकजुट होकर देवों का स्वागत करते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में बुरी चीजों से मुक्ति पाते हैं।