माँ गंगा आरती: पवित्रता और मुक्ति की प्रतीक माँ गंगा की आराधना से प्राप्त करें जीवन में शांति और समृद्धि

माँ गंगा आरती: पवित्रता और मुक्ति की प्रतीक माँ गंगा की आराधना से प्राप्त करें जीवन में शांति और समृद्धि
Last Updated: 22 सितंबर 2024

ॐ जय गंगे माता, जय जय गंगे माता।

जो नर तुम्हे नहाता, मनवांछित फल पाता॥

ॐ जय गंगे माता...॥

चंद्र सी ज्योत तुम्हारी, जल निर्मल आता।

शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता॥

ॐ जय गंगे माता...॥

 

पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता।

तुम्हरे जल की शरण, हर नर गत पाता॥

ॐ जय गंगे माता...॥

 

एक बार जो तुझको, शरणागत आता।

यम की त्रास मिटाकर, परम गति पाता॥

ॐ जय गंगे माता...॥

 

आरती मात तुम्हारी, जो जन नित गाता।

रिपु समूह मिटाकर, सुख संपत्ति पाता॥

ॐ जय गंगे माता...॥

 

माँ गंगा की आरती, जो कोई नर गाता।

मनवांछित फल पाता, सुख संपत्ति पाता॥

 

ॐ जय गंगे माता...॥

Leave a comment