प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए रखा जाता है। इस व्रत का उद्देश्य भक्तों को भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करना और जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और समस्त दुखों से मुक्ति पाना होता है। कार्तिक माह का अंतिम प्रदोष व्रत इस बार 13 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। आइए जानें इस दिन के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में।
इस व्रत के महत्व को समझते हुए, भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास रखते हैं। प्रदोष व्रत का पालन करने से जीवन के सभी दुखों का नाश होता है और मनुष्य के सभी पापों का शमन होता है। साथ ही यह व्रत समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत को विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित किया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं। यह व्रत अंधकार को नष्ट कर आत्मा को शुद्ध करने का कार्य करता है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की भक्ति करने से व्यक्ति को संतान सुख, धन-धान्य की प्राप्ति और जीवन में समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
प्रदोष व्रत 2024 का शुभ मुहूर्त
प्रदोष तिथि का आरंभ: 13 नवंबर 2024, दोपहर 1:01 बजे
प्रदोष तिथि का समापन: 14 नवंबर 2024, सुबह 9:43 बजे
पूजन का शुभ मुहूर्त: शाम 5:49 बजे से 8:25 बजे तक
प्रदोष व्रत के इस शुभ मुहूर्त में पूजा और व्रत रखना अत्यंत फलदायी होता है। विशेष रूप से यह समय भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
प्रदोष व्रत की पूजन विधि
प्रदोष व्रत की पूजा विधि बहुत सरल और प्रभावशाली है। इस दिन भक्त को निम्नलिखित पूजा विधियों का पालन करना चाहिए
स्नान और व्रत का संकल्प
सुबह उठकर पवित्र स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
व्रत का उद्देश्य और भगवान शिव की पूजा का संकल्प लें।
भगवान शिव की पूजा
भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र को साफ स्थान पर रखें।
उन्हें सफेद चंदन, बेल पत्र, फूल और पानी से अभिषेक करें।
दीपक में देसी घी का तेल डालकर उसे जलाएं और भगवान को अर्पित करें।
भगवान को खीर, फल, मिठाई, ठंडाई, लस्सी आदि का भोग अर्पित करें।
प्रदोष व्रत कथा का श्रवण
प्रदोष व्रत कथा का श्रवण करें और पंचाक्षरी मंत्र (ॐ नमः शिवाय) का जप करें।
शिव चालीसा का पाठ करें और भगवान शिव की महिमा का गुणगान करें।
रात्रि पूजा
प्रदोष व्रत का सबसे शुभ समय रात्रि का है, इसलिए पूजा शाम के समय ही करनी चाहिए।
पूजा के दौरान संपूर्ण ध्यान और श्रद्धा के साथ भगवान शिव का ध्यान करें।
व्रत का पारण
अगले दिन व्रत का पारण करें और तामसिक खाद्य पदार्थों से बचें।
यह दिन पारण के बाद अनुकूल फल देता है, इसलिए इसे सही विधि से संपन्न करें।
प्रदोष व्रत के पूजन मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव स्तुति मंत्र
द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य,
दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।
उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति,
व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः॥
प्रदोष व्रत के लाभ
सुख-शांति और समृद्धि: इस दिन व्रत रखने से घर में सुख-शांति का वास होता है और समृद्धि आती है।
दुखों का नाश: प्रदोष व्रत से सभी प्रकार के दुख, क्लेश और मानसिक तनाव दूर होते हैं।
पापों का शमन: यह व्रत सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला है और आत्मा की शुद्धि करता है।
आध्यात्मिक उन्नति: प्रदोष व्रत के प्रभाव से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है और शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
विशेष ध्यान रखने योग्य बातें
भोजन: व्रत के दौरान तामसिक भोजन से बचें और शाकाहारी भोजन करें।
सुरक्षा: पूजा करते समय शांत वातावरण बनाए रखें और भगवान के ध्यान में मग्न रहें।
पवित्रता बनाए रखें: व्रत के दौरान शारीरिक और मानसिक रूप से पवित्र रहना आवश्यक है।
प्रदोष व्रत हर माह के अंत में होने वाली एक महत्वपूर्ण धार्मिक घटना है, जो जीवन को सकारात्मक दिशा में बदलने का एक अवसर प्रदान करती है। इस व्रत
को श्रद्धा और भक्ति से करना आपके जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भरपूर बना सकता है।