हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक वस्तु माना गया है। विभिन्न मुखों वाले रुद्राक्षों का अपना विशिष्ट महत्व होता है, जिनमें सप्तमुखी रुद्राक्ष विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसमें सात मुख होते हैं, जो देवी महालक्ष्मी और सप्तमातृका का प्रतीक माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सप्तमुखी रुद्राक्ष का संबंध शनि ग्रह से होता है। यह उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है जिनकी कुंडली में शनि का अशुभ प्रभाव होता हैं।
इसे धारण करने से व्यक्ति के जीवन में धन, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। साथ ही यह मानसिक तनाव को कम करने और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करता है। रुद्राक्ष को धारण करने से पहले विधिपूर्वक पूजा और मंत्रोच्चार के साथ इसे सिद्ध करना आवश्यक माना जाता है, जिससे इसका शुभ प्रभाव अधिक प्रभावी हो सके।
सप्तमुखी रुद्राक्ष की कुछ खास बातें
सप्तमुखी रुद्राक्ष अपनी सात धारियों और दिव्य महत्व के कारण अद्वितीय माना जाता है। यह मुख्य रूप से इंडोनेशिया और नेपाल में पाया जाता है, जहां इंडोनेशियाई रुद्राक्ष का आकार अपेक्षाकृत छोटा होता है जबकि नेपाली दाना बड़ा और अधिक प्रभावशाली होता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे शनि ग्रह से संबंधित बताया गया है, लेकिन इसका आध्यात्मिक महत्व इससे भी अधिक व्यापक है। सप्तमुखी रुद्राक्ष सात मातृकाओं ब्राह्मी, महेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, इन्द्राणी और चामुंडा को समर्पित है। साथ ही यह सूर्य, सप्तर्षि, कार्तिकेय, अनंग (कामदेव), अनंत और नागराज से भी संबंध रखता हैं।
इसे धारण करने से माता महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में धन, समृद्धि और सौभाग्य का संचार होता है। सप्तर्षि तारामंडल के सात ऋषि मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, ऋतु और वशिष्ठ इसके आध्यात्मिक प्रतीक माने जाते हैं, जो आकाश में तारों के समूह के रूप में सप्तर्षि लोक का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सात मुखी रुद्राक्ष के लाभ
सप्तमुखी रुद्राक्ष न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है बल्कि यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में भी उपयोगी माना जाता है। जिन लोगों को स्नायु तंत्र (नर्व फाइबर्स) और हड्डियों से संबंधित समस्याएं हैं, जैसे गठिया या जोड़ों का दर्द, उनके लिए यह विशेष लाभकारी हो सकता है। यह हृदय और गले संबंधी रोगों में भी सहायक होता है। ल्यूकोमिया, लकवा, मिर्गी, बहरेपन, पेट दर्द, और अग्नाशय से जुड़ी परेशानियों में इसे उपयोगी माना जाता हैं।
आध्यात्मिक दृष्टि से सप्तमुखी रुद्राक्ष पेशेवर और व्यवसायिक लोगों के लिए शुभ होता है। इसे धारण करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है, यश और कीर्ति प्राप्त होती है। आर्थिक समस्याओं, सफलता में विलंब, मानसिक तनाव और शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए भी यह अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। ऑफिस या घर में किसी प्रकार की आर्थिक हानि से बचने के लिए सप्तमुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभफलदायक होता हैं।
सप्तमुखी रुद्राक्ष स्वास्थ्य समस्याओं के निवारण में महत्वपूर्ण
सप्तमुखी रुद्राक्ष स्वास्थ्य समस्याओं के निवारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जिन लोगों को लकवे की समस्या है, उन्हें अपने दायें या बायें हाथ की बाजू पर सात मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। इससे धीरे-धीरे लाभ प्राप्त होने की संभावना रहती है। गले की समस्याओं जैसे बार-बार टॉन्सिल्स, गला बैठने की शिकायत या अन्य गले संबंधी परेशानियों में रुद्राक्ष को गले से स्पर्श कराते हुए पहनना अत्यंत लाभकारी होता हैं।
इस रुद्राक्ष की एक विशेष मान्यता यह भी है कि इसे धारण करने वाले व्यक्ति पर सांप आदि के विष का प्रभाव नहीं होता। जो लोग किसी प्रकार के नशे के आदी हैं और उससे छुटकारा पाना चाहते हैं, वे भी सात मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं, इससे उन्हें सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना रहती हैं।
हड्डियों और जोड़ों के दर्द से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी सप्तमुखी रुद्राक्ष अत्यधिक प्रभावी है। विशेष रूप से घुटनों के दर्द या गठिया की समस्या में इसका उपयोग किया जा सकता है। यदि रुद्राक्ष नेपाली हो तो कम से कम पांच दाने धारण करने चाहिए। इंडोनेशियाई दानों के लिए 54+1 या 108+1 सात मुखी रुद्राक्ष की माला पहनना उपयुक्त माना जाता है। नियमित धारण करने से लाभ मिलने की संभावना रहती हैं।
7 मुखी रुद्राक्ष के मंत्र
* शिवपुराण के अनुसार ऊँ हुं नमः का जाप करें।।
* पद्मपुराण के अनुसार ऊँ ह्रः का जाप करें।।
* स्कंदपुराण के अनुसार ऊँ ह्रीं नमः जपें।।
* ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
* उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।