ॐ शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा॥
ॐ शिव ओंकारा...
पहला चरण
एकानन, चतुरानन, पंचानन राजे।
हंसासन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजे॥
ॐ शिव ओंकारा...
दूसरा चरण
दो भुज, चार चतुर्भुज, दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखत, त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ शिव ओंकारा...
तीसरा चरण
अक्ष माला, वनमाला, मुंडमाला धारी।
त्रिपुरारी, कंसारी, कर माला धारी॥
ॐ शिव ओंकारा...
चौथा चरण
श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघम्बर अंगे।
सनकादिक, गरुणादिक, भूतादिक संगे॥
ॐ शिव ओंकारा...
पांचवां चरण
कर के मध्य कमंडलु, चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता, प्रभु भर्ता, कर्ता हर्ता॥
ॐ शिव ओंकारा...
छठा चरण
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्य में, यह तीनों एका॥
ॐ शिव ओंकारा...
सातवां चरण
त्रिगुण स्वरूप शिव जी, ध्यावत सब कोई।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, सदा सर्वत्र ओई॥
ॐ शिव ओंकारा...
अंतिम चरण
ॐ शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा॥
ॐ शिव ओंकारा...