श्री दुर्गा स्तुति पाठ
सर्व मंगल मांगल्ए शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ए त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
जय जग जननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी मां।
उमा रमा गौरी ब्रह्माणी,
जय त्रिभुवन सुख कारिणी मां।
हे महालक्ष्मी हे महामाया,
तुम में सारा जगत समाया।
तीन रूप तीनों गुण धारिणी,
तीन काल त्रैलोक बिहारिणी।
हरि हर ब्रह्मा इंद्रादिक के,
सारे काज संवारिणी मां।
जय जग जननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी मां।
शैल सुता मां ब्रह्मचारिणी,
चंद्रघंटा कूष्मांडा मां।
स्कंदमाता कात्यायनी माता,
शरण तुम्हारी सारा जहां।
कालरात्रि महागौरी तुम हो,
सकल रिद्धि सिद्धि धारिणी मां।
जय जग जननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी मां।
अजा अनादि अनेका एका,
आद्या जया त्रिनेत्रा विद्या।
नाम रूप गुण कीर्ति अनंता,
गावहिं सदा देव मुनि संता।
अपने साधक सेवक जन पर,
सुख यश वैभव वारिणी मां।
जय जग जननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी मां।
दुर्गति नाशिनी दुर्मति हारिणी,
दुर्ग निवारण दुर्गा मां।
भवभय हारिणी भवजल तारिणी,
सिंह विराजिनी दुर्गा मां।
पाप ताप हर बंध छुड़ाकर,
जीवों की उद्धारिणी मां।
जय जग जननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी मां।
यह स्तुति माँ दुर्गा की महिमा और शक्ति को दर्शाती है, और भक्तों के लिए उनकी कृपा की प्रार्थना करती है।