दिवाली 2025 में लक्ष्मी-गणेश पूजा का विशेष महत्व निशिता काल में माना गया है। 20-21 अक्टूबर की रात रात्रि 11:46 से 12:36 बजे तक पूजा करने से घर और कार्यस्थल में समृद्धि, सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। इस समय किए गए अनुष्ठान पूरे वर्ष लाभकारी माने जाते हैं।
Diwali 2025: दिवाली 2025 में लक्ष्मी-गणेश पूजा का प्रमुख मुहूर्त निशिता काल में निर्धारित किया गया है। इस बार पूजा रात्रि 11:46 बजे से 12:36 बजे तक की जाएगी। यह पूजा घरों और कार्यस्थलों में समृद्धि, सुख-शांति और ऐश्वर्य लाने के लिए की जाती है। ज्योतिषाचार्यों और पंचांग विशेषज्ञों के अनुसार, निशिता काल में किए गए अनुष्ठान और मंत्र जाप का प्रभाव अधिक तीव्र और दीर्घकालीन होता है। इस शुभ अवसर पर परिवार और भक्त सामूहिक रूप से पूजा कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
समृद्धि और शुभ ऊर्जा का प्रतीक
दिवाली का पर्व सिर्फ दीप और मिठाइयों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, नए आरंभ और समृद्धि का प्रतीक भी है। इस दिन विशेष रूप से धन की देवी लक्ष्मी और विघ्नहर्ता गणेश की पूजा का महत्व बढ़ जाता है। पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, लक्ष्मी-गणेश पूजा न केवल आर्थिक समृद्धि प्रदान करती है बल्कि जीवन में सुख, शांति और ऐश्वर्य की दिशा भी खोलती है।
निशिता काल
लक्ष्मी-गणेश पूजा को निशिता काल में करना बहुत ही शुभ माना जाता है। निशिता काल रात के मध्य का समय होता है, जब दिन और रात का संतुलन स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र और तांत्रिक ग्रंथों में इस समय को अत्यंत पवित्र माना गया है। इस अवधि में वातावरण की ऊर्जा विशेष रूप से सकारात्मक और सशक्त होती है, जिससे किए गए अनुष्ठान और मंत्र जाप का प्रभाव अधिक तीव्र और दीर्घकालीन होता है।
निशिता काल का महत्व
रात्रि के मध्य बिंदु पर स्थित निशिता काल को धन, विद्या और आध्यात्मिक बल की प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस समय किए गए कार्य न केवल सांसारिक लाभ देते हैं, बल्कि व्यक्ति के मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन में भी सहायक होते हैं। यही कारण है कि दिवाली के दिन निशिता काल में लक्ष्मी-गणेश पूजा का विशेष महत्व है।
2025 में निशिता काल मुहूर्त
इस साल, दिवाली 2025 के दिन निशिता काल मुहूर्त रात्रि 11:46 बजे से 12:36 बजे तक रहेगा। इस समय में पूजा करने से घर में समृद्धि, सुख-शांति और ऐश्वर्य का वास होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस अवधि में किए गए अनुष्ठान पूरे वर्ष लाभकारी रहते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।
पूजा की विधि और मंत्र जाप
निशिता काल में लक्ष्मी-गणेश पूजा के लिए पहले घर और पूजा स्थल को साफ़ करना आवश्यक है। लक्ष्मी और गणेश के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं, पुष्प अर्पित करें और मंत्रों का जाप करें। इस समय किया गया मंत्र जाप विशेष प्रभावशाली माना जाता है और घर में सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
घर और कार्यस्थल पर पूजा
जो लोग घर पर पूजा नहीं कर सकते, वे अपने कार्यस्थल पर भी निशिता काल में लक्ष्मी-गणेश पूजन कर सकते हैं। पूजा के दौरान वातावरण को स्वच्छ और शांत रखना चाहिए। दीपक और अगरबत्ती से घर या कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
दिवाली 2025 का महत्व
दिवाली का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और पारिवारिक मेलजोल का भी अवसर है। दीपोत्सव के दिन घरों को सजाना, लक्ष्मी-गणेश पूजन करना और परिवार के साथ सामूहिक रूप से आनंद मनाना शुभ माना जाता है। निशिता काल में की गई पूजा का प्रभाव सालभर सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखता है।
दिवाली 2025 में निशिता काल का पालन कर लक्ष्मी-गणेश पूजन करना अत्यंत शुभ माना गया है। रात्रि 11:46 बजे से 12:36 बजे तक पूजा करने से घर और कार्यस्थल में समृद्धि, सुख-शांति और ऐश्वर्य का वास होता है। इस बार की दिवाली में सही समय पर पूजा और मंत्र जाप करने से पूरे वर्ष लाभकारी परिणाम प्राप्त होंगे।