श्री राधा स्तुति
नमस्ते परमेशानि रासमण्डलवासिनी।
रासेश्वरि नमस्तेऽस्तु कृष्ण प्राणाधिकप्रिये॥
नमस्त्रैलोक्यजननि प्रसीद करुणार्णवे।
ब्रह्मविष्ण्वादिभिर्देवैर्वन्द्यमान पदाम्बुजे॥
नम: सरस्वतीरूपे नम: सावित्रि शंकरि।
गंगापद्मावनीरूपे षष्ठि मंगलचण्डिके॥
नमस्ते तुलसीरूपे नमो लक्ष्मीस्वरुपिणी।
नमो दुर्गे भगवति नमस्ते सर्वरूपिणी॥
मूलप्रकृतिरूपां त्वां भजाम: करुणार्णवाम्।
संसारसागरादस्मदुद्धराम्ब दयां कुरु॥
यह श्री राधा स्तुति भगवान श्रीकृष्ण की परमप्रिया राधा रानी की महिमा का गुणगान करती है। स्तुति में उन्हें संसार की जननी, करुणा की सागर, और सभी देवी रूपों का संगम बताया गया है। यह स्तुति राधा रानी से संसार सागर से उद्धार और कृपा की याचना करती है।